एनीडए सरकार में मंत्री रहे दिलीप रे को दिल्ली की एक अदालत ने कोयला घोटाला के एक केस में दोषी करार दिया है। बता दें कि यह मामला झारखंड में 1999 में कोयला ब्लॉक के आवंटन में कथित अनियमितता से संबंधित है।
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इससे पहले अप्रैल 2017 में पटियाला हाउस स्थित विशेष सीबीआई जज भरत पराशर ने दिलीप राय, कोयला मंत्रालय के तत्कालीन दो वरिष्ठ नौकरशाह प्रदीप कुमार बनर्जी और नित्यानंद गौतम, कैस्ट्रोन टेक्नोलॉजी लिमिटेड (सीटीएल) के निदेशक महेंद्र कुमार अग्रवाल और सीएमएल के खिलाफ आरोप तय करते हुए मुकदमा चलाने का निर्देश दिया था।
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चलिए बताते है पूरा मामला क्या है। अगस्त 1998 की रिपोर्ट में बताया था कि ब्रह्माडीहा खदान काफी समय से किसी काम लायक नहीं है। ये भी बताया गया कि इससे कोयला निकाला जाना सुरक्षा नियमों के खिलाफ होगा। सीबीआई के मुताबिक, यह फाइल 23 अप्रैल 1999 को दिलीप रे के कार्यालय भेज दी गई थी। सीटीएल ने 12 मई 1999 को नए सिरे से आवेदन देकर उनके आवेदन को शीघ्र निपटाने के लिए कहा था। दिलीप रे ने अगले दिन यह फाइल कोयला सचिव को भेज कर इस पर दोबारा विचार करने के लिए कहा था। एजेंसी का दावा है कि यह फाइल दोबारा नित्यानंद गौतम के पास पहुंची तो उन्होंने पहले के रुख से यू-टर्न लेते हुए खदान आवंटन की सिफारिश कर दी।
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