कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा है कि वह वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मध्य प्रदेश के विदिशा में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं।
राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश के राजगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में, ‘‘ मैं नरेंद्र मोदी और शिवराज सिंह चौहान का मुकाबला करने के लिए तैयार हूं, लेकिन पार्टी ने मुझे यहां (राजगढ़) से चुनाव लड़ने के लिए कहा है, इसलिए मैं यहां से चुनाव लड़ूंगा।’’
उनकी यह टिप्पणी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा सवाल उठाए जाने के एक दिन बाद आई है। यादव ने कहा था कि दस साल (1993-2003) तक मुख्यमंत्री रहने के बावजूद दिग्विजय सिंह राज्य की राजधानी भोपाल से चुनाव क्यों नहीं लड़ रहे हैं?
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मोदी वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। बीजेपी ने शिवराज चौहान को विदिशा से उम्मीदवार बनाया है। मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने दिग्विजय सिंह पर तंज कसा था कि वह 30 साल बाद राजगढ़ लौटे हैं।
हालांकि कांग्रेस ने अभी तक लोकसभा चुनाव के लिए दिग्विजय सिंह की उम्मीदवारी की आधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन दिग्विजय सिंह ने दावा किया है कि पार्टी ने संकेत दिया है कि उन्हें राजगढ़ सीट से मैदान में उतारा जा सकता है, जिसका वह दो बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
बता दें कि 2019 के चुनाव में बीजेपी ने भोपाल से प्रज्ञा ठाकुर को मैदान में उतारा था, जबकि दिग्विजय सिंह कांग्रेस के उम्मीदवार थे। उस चुनाव में प्रज्ञा ठाकुर जीती थीं। पिछले लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की 29 में से 28 सीटें बीजेपी ने और एक सीट कांग्रेस ने जीती थी।
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दिग्विजय सिंह 1984 और 1991 में राजगढ़ लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। 1993 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद, यह सीट 1994 (उपचुनाव) से 2004 तक उनके भाई लक्ष्मण सिंह के पास रही। लक्ष्मण ने बीजेपी के टिकट पर 2004 का लोकसभा चुनाव यहां से जीता था, लेकिन सिंह के करीबी सहयोगी नारायण सिंह अमलाबे ने 2009 में लक्ष्मण सिंह को हरा दिया। इसके बाद लक्ष्मण सिंह वापस कांग्रेस में आ गए।
वर्ष 2014 में राजगढ़ में बीजेपी के रोडमल नागर ने आमलाबे को हराया था और इस बार पार्टी ने उन्हें फिर से उम्मीदवार बनाया है।
इस बीच राघौगढ़ विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले दिग्विजय सिंह और उनके बेटे जयवर्धन सिंह ने राजगढ़ निर्वाचन क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। दिग्विजय के पिता बलभद्र सिंह तत्कालीन ग्वालियर राज्य के राघौगढ़ के राजा थे। वह 1951 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में वहां से चुने गए।
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