सुदर्शन टीवी मामले में केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा सुप्रीम कोर्ट से कहा गया है कि अगर वे मीडिया के नियमन में इच्छुक हैं, तो उन्हें मुख्यधारा मीडिया की बजाय डिजिटल मीडिया पर गौर करना चाहिए, क्योंकि इसमें बड़े पैमाने पर दर्शकों तक पहुंचने की क्षमता है। मंत्रालय ने कहा कि इसमें चीजें तेजी से चीजें वायरल होती हैं।
Published: 17 Sep 2020, 7:10 PM IST
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए अपने एक हलफनामे में मंत्रालय ने कहा है कि मेनस्ट्रीम मीडिया (इलेक्ट्रॉनिक या प्रिंट) की बात करें, तो इसमें पब्लिकेशन या टेलीकास्ट करना एक बार का काम होता है। दूसरी ओर डिजिटल मीडिया में अधिक संख्या में लोगों तक पहुंचने की क्षमता होती है और इसमें व्हाट्सअप, ट्विटर और फेसबुक जैसे ऐप के माध्यम से वायरल होने का भी गुण है।
Published: 17 Sep 2020, 7:10 PM IST
सुदर्शन टीवी के ‘यूपीएससी जिहाद’ शो मामले में दायर इस हलफनामे में कहा गया, "गंभीर प्रभाव और क्षमता को ध्यान में रखते हुए कोर्ट अगर इस पर फैसला करने का इच्छुक है, तो उन्हें पहले डिजिटल मीडिया पर गौर फरमाना चाहिए, क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के संबंध में पहले से ही पर्याप्त रूपरेखा और न्यायिक घोषणाएं मौजूद हैं।" इसमें कहा गया, "मीडिया में मुख्यधारा की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया के अलावा एक समानांतर मीडिया भी है, जिनमें डिजिटल प्रिंट मीडिया, वेब बेस्ड न्यूज पोर्टल, यूट्यूब चैनल सहित 'ओवर द टॉप' प्लेटफॉर्म (ओटीटी) शामिल हैं।"
Published: 17 Sep 2020, 7:10 PM IST
गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, के. एम. जोसेफ और इंदु मल्होत्रा की पीठ ने अगले आदेश तक सुदर्शन टीवी के यूपीएससी जिहाद कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही पीठ ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए मानक प्रदान करने के उद्देश्य से एक पांच-सदस्यीय समिति की स्थापना का संकेत दिया था, जिनकी नीतियां राजनीतिक दृष्टिकोण से प्रभावित नहीं होंगी। फिलहाल शीर्ष अदालत मामले की सुनवाई जारी रखेगी।
Published: 17 Sep 2020, 7:10 PM IST
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Published: 17 Sep 2020, 7:10 PM IST