उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आपसी मतभेद इस बार के बजट में खुलकर सामने आ गए। सीएम योगी ने उस पीडब्लूडी विभाग का बजट लगभग आधा कर दिया है जिसके केशव प्रसाद मौर्य प्रभारी हैं। मौर्य के नजदीकी लोग अब इस पर तीखी प्रतिक्रिया जता रहे हैं।
केशव प्रसाद मौर्य के नजदीकी एक नेता ने नवजीवन को बताया कि, “अगर मुख्यमंत्री पीडब्लूडी का बजट ही आधा कर देंगे तो फिर विभाग सड़कें आदि कैसे बनाएगा। बजट में यह कटौती दुर्भावन के चलते की गई है। योगी दरअसल केशव प्रसाद मौर्य की बदनामी करना चाहते हैं। इसीलिए वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने सीएम के कहने पर ऐसा किया है।” इस नेता ने कहा, “राजनीतिक बदला लेने का यह कोई तरीका नहीं हुआ।”
गौरतलब है कि मंगलवार को योगी सरकार के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने 2020-21 के लिए बजट पेश किया जिसमें पीडब्लूडी के लिए सिर्प 14,366 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है, जोकि पिछले साल के 24,957 करोड़ रुपए के मुकाबले लगभग आधा है। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि यूपी में नई सड़के बनाने के लिए किसी फंड की व्यवस्था नहीं की गई है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में 13,318 करोड़ रुपए इस मद में दिए गए हैं।
इतना ही नहीं अंतरराज्यी और अंतरराष्ट्रीय मार्गों के रखरखाव के लिए आवंटित फंड में भी कटौती की गई है। पिछले साल इस मद में 1174 करोड़ रुपए आवंटित हुए थे जबकि इस बार मात्र 174 करोड़ रुपए का ही आवंटन हुआ है। इसके अलावा नाबार्ड के तहत बनने वाली सड़कों के लिए 702 करोड़ रुपए दिए गए थे जबकि इस साल इस मद में किसी फंड की व्यवस्था नहीं की गई है। हां इतना जरूर हुआ है कि इस बार के बजट में स्टेट रोड फंड के नाम से अलग से 1500 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है।
मौर्य के करीबी नेता ने बताया कि इस बार के बजट में पीडब्लूडी विभाग की सबसे ज्यादा अनदेखी की गई है। नेता ने काह कि, “मुख्यमंत्री को आभास नहीं है कि खराब सड़कों के कारण सरकार की कितनी बदनामी होती है। मेरी बात ध्यान रखना, पैसे की तंगी के चलते यूपी में सड़कों की हालत और भी खस्ताहाल होने वाली है क्योंकि मरम्मत कराने तक के पैसे नहीं दिए गए हैं।”
रोचक बात यह है कि इस बार के बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के लिए पूर्वांचल, बुंदेलखंड और गंगा एक्सप्रेसवे के लिए फंड मुहैया कराया गया है, लेकिन इन एक्सप्रेसवे का निर्माण उत्तर प्रदेश औद्योगिक एक्सप्रेसवे विकास प्राधिकरण (यूपीईआडीए) के जिम्मे है। यह विभाग सीधे मुख्यमंत्री के मातहत है।
दरअसल योगी आदित्यनाथ और उनके डिप्टी केशव प्रसाद मौर्य के बीच मतभेदों की बात नई नहीं है। पिछले साल 15 नवंबर को सीएम योगी ने उन सभी टेंडर की जांच कराने का आदेश दिया था जो बीते दो साल के दौरान पीडब्लूडी ने जारी किए थे। योगी पीडब्लूडी के कामकाज से नाराज थे और उन्होंने विभाग के प्रधान सचिव को अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने को कहा था। उन्होंने कहा था कि जिलों के ऐसे अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाए जो बिना काम के ही भुगतान कर रहे हैं।
योगी यहीं नहीं रुके थे और उन्होंने विभाग के बीते दो साल के टेंडर का ऑडिट कराने का भी आदेश दिया था। साथ ही विभाग द्वारा किए जा रहे कामों की गुणवत्ता को लेकर भी नाराजगी जताई थी।
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