राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की पहली बैठक के बाद ही मतभेदों की बात सामने आने लगी है। दिगंबर अखाड़े ने ट्र्स्ट में योगी आदित्यनाथ और गोरक्षनाथ पीठ को शामिल न किए जाने का मुद्दा उठाया है। वहीं वैष्णव वैरागी अखाड़ों की निर्वाणी के महंत और हनुमानगढ़ी के महंत ने भी ट्रस्ट में शामिल न किए जाने पर आपत्ति जताई है।
अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राम मंदिर निर्माण के लिए मोदी सरकार द्वारा बनाए गए ट्रस्ट श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की पहली बैठक बुधवार को दिल्ली में हुई जिसमें नृत्यगोपाल दास को ट्र्स्ट का अध्यक्ष और विश्व हिंदू परिषद के चंपत राय को महामंत्री चुना गया। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रधानसचिव नृपेंद्र मिश्र को मंदिर भवन निर्माण समिति का चेयरमैन चुना गया।
लेकिन, ट्रस्ट की पहली बैठक में ही मतभेदों को स्वर सामने आने लगे। दिगंबर अखाड़े के प्रमुख सुरेश दास ने इस बात पर नाराजगी जताई है कि ट्रस्ट में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और गोरक्षनाथ पीठ दोनों को ही शामिल नहीं कर उन्हें नजरअंदाज किया गया है। सुरेश दास ने कहा है कि मंदिर आंदोलन में सबसे प्रमुख भूमिका दिगंबर अखाड़े और गोरखपुर की गोरक्षनाथ पीठ और उनके महंत की रही है। लेकिन ट्रस्ट के गठन में इस सबको को अनदेखा किया गया। उन्होंने कहा कि इस ट्रस्ट में सीएम योगी आदित्यनाथ तक को भी इससे अलग रखा गया।
आजतक की खबर के मुताबिक सुरेश दास ने कहा कि दिगंबर अखाड़ा भिखमंगा नहीं, जिसे कुछ इस ट्रस्ट से चाहिए। हालांकि सुरेश दास ने मंहत नृत्यगोपाल दास को ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाए जाने पर शुभकामनाएं दीं।
बुधवार को दिल्ली में हुई बैठक में मतभेदों का एक और दौर भी उस समय सामने आया जब हनुमानगढ़ी के महंत धर्मदास को ट्र्स्ट की बैठक में शामिल नहीं किया गया। बताया जाता है कि ट्रस्ट की बैठक के दौरान वैष्णव वैरागी अखाड़ों की निर्वाणी अणी के महंत और अयोध्या में हनुमानगढ़ी के महंत धर्मदास भी ट्रस्ट की बैठक के दौरान पहुंच गए थे, लेकिन उन्हें बैठक में शामिल नहीं किया गया और बैठक कक्ष से दूर अलग कमरे में बिठा दिया गया।
गौरतलब है कि महंत धर्मदास काफी समय से ट्रस्ट में शामिल होने की मांग कर रहे हैं। कहा जाता है कि वे नए निर्मित हो रहे मंदिर में पुजारी बनना चाहते हैं। सूत्रों का कहना है कि अगर उन्हें ट्रस्ट में शामिल नहीं किया गया और रामलला की सेवा पूजा का अधिकार नहीं दिया गया तो वे मामले को कोर्ट में ले जा सकते हैं।
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