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क्या केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार की शिकायत पर गई यूपी के वित्त मंत्री की कुर्सी !

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अपने पहले मंत्रिमंडल विस्तार में 4 मंत्रियों की छुट्टी कर दी। इनमें वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल भी हैं। केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने पिछले दिनों इन्हीं राजेश अग्रवाल के इलाके में सिर्फ 5 वोट मिलने की शिकायत की थी।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार को बीजेपी के गढ़ में वोट न मिलने का मामला जैसे ही तूल पकड़ने लगा, उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल की कुर्सी चली गई। यूं तो यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने कैबिनेट विस्तार में चार मंत्रियों की छुट्टी की है, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल को लेकर हो रही है।

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल विस्तार से पहले चार मंत्रियों ने इस्तीफे दे दिए। उनके इस्तीफे की वजह सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बने हुए हैं। इस्तीफा देने वाले मंत्रियों में वित्तमंत्री राजेश अग्रवाल, सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह, बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री अनुपमा जायसवाल तथा भूतत्व एवं खनिकर्म राज्यमंत्री अर्चना पांडेय शामिल हैं।

Published: 22 Aug 2019, 9:51 AM IST

सूत्रों के मुताबिक, राजेश अग्रवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें बहुत दिनों से सुनने को मिल रही थी। आम बीजेपी कार्यकर्ताओं की बात छोड़ भी दी जाए तो केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार से भी उनके रिश्ते हाल-फिलहाल खराब हुए थे। गौरतलब है कि हाल ही में केंद्रीय मंत्री उत्तर प्रदेश की बरेली सीट से बीजेपी सांसद संतोष गंगवार ने पत्र लिखकर इस बात की शिकायत की थी राजेश अग्रवाल के निवास स्थान के करीब बने पोलिंग बूथ पर उन्हें मात्र 5 वोट मिले। जबकि इसी वोट पर समाजवादी पार्टी को करीब 600 वोट मिले थे। यह इलाका बीजेपी का गढ़ माना जाता है, फिर भी संतोष गंगवार को वोट न मिलना आश्चर्यचकित करता है।

Published: 22 Aug 2019, 9:51 AM IST

इस मुद्दे को संतोष गंगवार ने पार्टी आलाकमान के सामने उठाया था। इसके अलावा भी वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल पर डूडा के करोड़ों के टेंडर अपने रिश्तेदारों को दिलाने और विभागीय ट्रांसफर-पोस्टिंग में भ्रष्टाचार के तमाम ऐसे मामले दबी जुबान फिर चर्चा में आ गए, जिनको लेकर वित्त मंत्री रहते हुए राजेश अग्रवाल पर आरोप लगे थे, लेकिन साबित नहीं हो पाए।

वहीं, सिंचाई विभाग के मंत्री धर्मपाल के विभाग में बढ़े भ्रष्टाचार व तबादलों की शिकायतों ने उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया। इसके अलावा उनके विभाग में दलालों का सक्रिय होना तथा कमीशनखोरी को बढ़ावा भी उनके बाहर जाने की वजह बनी।

Published: 22 Aug 2019, 9:51 AM IST

उधर बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री अनुपमा जायसवाल बेसिक शिक्षा अधिकारियों के तबादलों के साथ विभाग में जूते-मोजे, स्वेटर और पाठ्य पुस्तकों के टेंडर को लेकर सरकार की किरकिरी करवाती रही हैं। अनुपमा का विभाग बच्चों को फरवरी तक स्वेटर नहीं वितरित कर पाया। इसके अलावा तबादलों और टेंडर को लेकर अनुपमा का विभाग के अधिकारियों से भी टकराव हुआ।

भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग राज्यमंत्री अर्चना पांडेय को सरकार और संगठन के कामकाज की शून्यता उन्हें ले डूबी। बीते दिनों एक न्यूज चैनल की ओर से किए गए स्टिंग ऑपरेशन में अर्चना पांडेय के निजी सचिव पर भी गाज गिरी थी। लोकसभा चुनाव में अर्चना पांडेय के निर्वाचन क्षेत्र में बीजेपी उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा था। उन्हें हटाए जाने की एक वजह इसे भी माना जा रहा है।

बीजेपी के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने बताया कि अभी और भी लोग मुख्यमंत्री के रडार पर हैं। उन्हें संगठन की मदद करने के कारण बचाया गया है। आगे चलकर उनपर भी गाज गिरनी तय है। संगठन का मानना है कि इतने सारे मंत्री एक साथ इस्तीफा देंगे, तो विपक्ष को मौका मिलेगा। अभी विपक्ष फिलहाल खमोश है।

कुछ ऐसे भी मंत्री हैं, जो अपने कामों में निष्क्रिय हैं, लेकिन उनका विभाग बहुत तेजी के साथ उगाही में लगा हुआ है। उन पर मुख्यमंत्री की नजर वैसे भी टेढ़ी है।

(आईएएनएस इनपुट के साथ)

Published: 22 Aug 2019, 9:51 AM IST

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Published: 22 Aug 2019, 9:51 AM IST