नागरिकता कानून आने के बाद और इसके अनुक्रम में एनआरसी लागू किए जाने की घोषणा के बाद से देश में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन जारी हैं। बीजेपी शासित राज्यों में इस विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भी हो रही है। इस सारे मामले पर अब तक चुप रहे प्रधानमंत्री ने रविवार को पहली बार कुछ बोला, और जो बोला उससे तरह-तरह के सवाल खड़े हो गए। सारे सवालों का सार यह है कि क्या प्रधानमंत्री ने देश से झूठ बोला? सबसे पहले सुनिए कि प्रधानमंत्री ने रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में एनआरसी को लेकर क्या कहा?
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क्या प्रधानमंत्री ने एनआरसी और निगरानी केंद्र यानी डिटेंशन सेंटर को लेकर देश से झूठ बोला? क्या सत्ता और संगठन के बीच सामंजस्य खत्म हो चुका है? क्या पीएम देश के सामने अपने ही गृहमंत्री को झूठा साबित कर रहे हैं? क्या अपनी सरकार द्वारा संसद में दी गई जानकारी को झुठला रहे हैं? क्या बीजेपी के कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष लोगों को गुमराह कर रहे हैं? और सबसे बड़ा सवाल, क्या लोगों को एनआरसी के नाम पर डराकर देश को सांप्रदायिकता की आग में झोंकने का षडयंत्र रचा जा रहा है, ताकि आने वाले दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनाव में वोटों की फसल काटी जा सके?
प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि एनआरसी के बारे में संसद में कोई चर्चा नहीं हुई। प्रधानमंत्री जी खुद ही सुनिए देश के राष्ट्रपति ने आपकी सरकार की शुरुआत में संसद के दोनों सदनों को संबोधित करते हुए एनआरसी के बारे में क्या कहा था। और हां, यह सर्वविदित है कि राष्ट्रपति के अभिभाषण का एक-एक शब्द कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही पढ़ा जाता है।
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सुना क्या कह रहे हैं महामहिम। इससे भी अगर इनकार है तो अपनी ही सरकार के गृहमंत्री की वह बात सुनिए जो उन्होंने अभी हाल ही में नागरिकता संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान लोकसभा में कही थी। यह सब तो रिकॉर्ड में रहता है।
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गृहमंत्री को भी झुठला दिया आपने तो प्रधानमंत्री जी। तो फिर अपनी ही पार्टी के कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा की बात भी सुन लीजिए कि वे सीएए और एनआरसी पर क्या कह रहे हैं।
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अब रही बात डिटेंशन सेंटर की। प्रधानमंत्री मोदी ने साफ कहा कि कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है। तो फिर आपकी सरकार के गृह राज्यमंत्री क्यों संसद को बता रहे हैं कि असम में डिटेंशन सेंटर चल रहे हैं और वहां कुछ लोगों की मौत भी हुई है। सुनिए और देखिए।
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इसके अलावा कांग्रेस सांसद शशि थरूर के सवाल के जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा था कि असम में डिटेंशन सेंटर चल रहे हैं। इसका लिखित उत्तर भी संसद में दिया गया था। जवाब में बताया गया कि असम में 6 डिटेंशन सेंटर चल रहे हैं। यह भी बताया गया था कि इन सेंटर में कुल 1133 लोग नजरबंद हैं। फिर आखिर प्रधानमंत्री ने इस सबके बारे में गलत बयानी क्यों की?
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