जेएनयू की छात्रा और सामाजिक कार्यकर्ता शहरा राशिद ने जब अपने ट्विटर पर लिखा कि देहरादून के प्राइवेट हॉस्टल में कुछ कश्मीरी छात्राएं फंसी हैं और भीड़ उन्हें परेशान कर रही है, तो देहरादून पुलिस ने आनन-फानन में शहरा राशिद के खिलाफ धारा 154, 504, 505 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया। शहला ने 16 फरवरी को लिखा था कि एक भीड़ ने हॉस्टल को घेर लिया है।
लेकिन उत्तराखंड पुलिस ने स्थानीय भाषा और अंग्रेज़ी में प्रकाशित होने वाले अखबारों के खिलाफ कोई संज्ञान नहीं लिया जिन्होंने ऐसी खबरे प्रकाशित की थीं। अखबारों ने लिखा कि कश्मीरी छात्राओं ने उस वक्त पाकिस्तान समर्थक नारे लगाए थे जब वहां से पुलवामा के शहीदों की याद में जुलूस निकाला जा रहा था। हालांकि छात्राओं ने ऐसा कोई भी नारा लगाने से इनकार किया है।
देहरादून के एसएसपी निवेदिता कुकरेती का कहना है कि वे खुद हॉस्टल पहुंची थीं, लेकिन वहां ऐसा कुछ नहीं था। उनका कहना है कि उन्होंने खुद छात्राओं को सुरक्षा का आश्वासन दिया था।
लेकिन स्थानीय अखबारों पर देहरादून पुलिस चुप है। अखबारों ने सुर्खियों के साथ खबरे प्रकाशित कीं कि कश्मीरी छात्राओं ने भड़काऊ नारे लगाए थे, जिसके बाद भीड़ ने हॉस्टल घेर लिया था। इस भीड़ में बहुत से दक्षिणपंथी संगठनों के कार्यकर्ता थे।
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हिंदी अखबार ‘हिंदुस्तान’ में प्रकाशित हुआ कि कश्मीरी छात्राओं ने कथित तौर पर जुलूस निकाल रहे लोगों पर पथराव किया, जिसके बाद हॉस्टर का घेराव किया गया। वहीं ‘अमर उजाला’ ने मुख्य खबर के रूप में लिखा कि कश्मीरी लड़कियों ने भड़काऊ नारे लगाए।
‘राष्ट्रीय सहारा’ ने भी ऐसी ही खबर प्रकाशित की। इसके अलावा टाइम्स ऑफ इंडिया के देहरादून संस्करण में लिखा गया कि, “भीड़ द्वारा हॉस्टल का घेराव होने पर 20 कश्मीरी छात्राओं ने खुद को कमरे में बंद कर लिया।” देहरादून पुलिस ने भी इसके बाद सिर्फ इतना ट्वीट किया कि कोई गलतफहमी थी, लेकिन लड़कियों को बंधक नहीं बनाया गया था।
शहला राशिद पर मुकदमे के बारे में उत्तराखंड के डीजीपी (लॉ एंड ऑर्डर) अशोक कुमार का कहना है कि, “एक स्थानीय निवासी की शिकायत पर मुकदमा दर्ज किया गया है। जांच के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी।” वहीं अखबारों में उत्तेजक खबरों के प्रकाशन पर अशोक कुमार ने कहा कि पुलिस ने इस बारे में एक एडवाइज़री जारी की है।
दूसरी तरफ उत्तराखंड में मुकदमा दर्ज होने पर शहला राशिद ने कहा है कि, “उत्तराखंड पुलिस ने मेरे खिलाफ तो एफआईआर दर्ज कर ली, लेकिन बजरंग दल के संयोजक विकास वर्मा के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की है जो खुलेआम राष्ट्रीय अखबारों में बयान दे रहा है कि देहरादून में कश्मीरियों पर हमले हुए और उसने कश्मीरियों को देहरादून छोड़ने का अल्टीमेटम दिया है।“
इस बीच देहरादून पुलिस ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े 23 छात्रों पर मामला दर्ज किया है। इन पर दंगा भड़काने का आरोप है। इसके अलावा उत्तरांचल कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नालॉजी के छात्रों की पुलिस से सोमवार को झड़प भी हुई। यह छात्र हॉस्टल से कश्मीरी छात्रों को निकाले जाने की मांग कर रहे थे।
उत्तराखंड के डीजीपी अनिल कुमार रतूड़ी ने एक बयान में कहा है कि मंगलवार को उत्तराखंड में कश्मीरी छात्रों के संबंध में कोई घटना नहीं हुई।
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