देशभर में 25 जनवरी को रिलीज होने वाली इस फिल्म के विरोध में बिहार के मुजफ्फरपुर में 17 जनवरी को राजपूत करणी सेना के सदस्यों ने जमकर बवाल काटा। करणी सेना के कार्यकरताओं ने शहर के एक सिनेमा हॉल में तोड़फोड़ की और वहां पर लगे फिल्म पद्मावत के पोस्टर को फाड़ दिया। पुलिस के अनुसार, मिठनपुरा थाना क्षेत्र के ज्योति कार्निवल सिनेमा हॉल में 30-40 लोगों ने जमकर हंगामा और तोड़फोड़ किया है। उन्होंने खुद को करणी सेना का कार्यकर्ता बताया। इन लोगों ने सिनेमा हॉल की बाहरी दीवार पर लगे 'पद्मावत' के पोस्टरों को फाड़ दिया और वहां के कई फर्नीचरों को तोड़ दिया।
Published: undefined
इस दौरान करणी सेना के कार्यकरताओं ने 'पद्मावत' दिखाने पर सिनेमा हॉल में आग लगाने की धमकी भी दी। उनलोगों ने कहा, "हम किसी भी कीमत पर सिनेमाघरों में यह फिल्म नहीं चलने देंगे।" हालांकि पुलिस को आता देख करणी सेना के ये 'वीर' वहां से भाग खड़े हुए। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस सीसीटीवी फुटेज देखकर हंगामा करने वालों की पहचान में जुटी है। हमलावरों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
Published: undefined
इसी बीच बिहार से भी फिल्म पर बैन लगाने की मांग सामने आई है। यह मांग किसी और ने नहीं बल्कि खुद सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के नेता ने की है। पार्टी के प्रवक्ता संजय सिंह ने फिल्म को बिहार में भी बैन करने की मांग करते हुए ट्वीट किया, “विवादित फिल्म को आहत होती मानवीय भावनाओं और विरोध के बीच हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश में बैन कर दिया गया था। इसलिए बिहार में भी फिल्म पर बैन लगाया जाए।
Published: undefined
इस बीच, गुजरात में भी फिल्म की रिलीज को लेकर हंगामे की खबर है। अहमदाबाद में फिल्म के विरोध में राजपूत समाज ने हाईवे जाम कर हंगामा किया। इस दौरान सड़क पर तोड़-फोड़ और आगजनी भी की गई।
Published: undefined
वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद करणी सेना के रुख में भी कोई बदलाव नहीं आया है। फैसले के बाद राजपूत करणी सेना ने कहा कि देश भर में कहीं भी फिल्म को रिलीज नहीं होने देंगे। उज्जैन में राजपूत करणी सेना के अध्यक्ष लोकेंद्र सिंह कल्वी ने कहा कि देश के सामाजिक संगठनों से अपील करूंगा कि पद्मावत नहीं चलनी चाहिए। उन्होंने कहा, फिल्म पर जनता कर्फ्यू लगा दे।
Published: undefined
एक अन्य राजपूत संगठन राष्ट्रीय करणी सेना ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को डबल बेंच में चुनौती दी जाएगी। संगठन के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेडी ने कहा, कोर्ट का काम कानून व्यवस्था के लिए राज्य सरकार को आदेश देने का है, वह अपना काम करे, हम अपना काम करेंगे। हमारा वास्ता समाज से है और हम अपने पुरखों के सम्मान के लिए लड़ रहे हैं। इसलिए किसी भी कीमत पर फिल्म को देश में रिलीज नहीं होने देंगे। इसके लिए चाहे जो भी कीमत चुकानी पड़े।
Published: undefined
इससे पहले 17 जनवरी को प्रधान न्यायाधीश की बेंच ने पद्मावत पर चार राज्यों के बैन को असंवैधानिक करार देते हुए अपने आदेश में कहा कि क़ानून व्यवस्था बनाए रखना राज्यों का संवैधानिक दायित्व है, यह उनकी जिम्मेदारी है। पीठ ने कहा कि फिल्म पर बैन लगाना, संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत लोगों के जीवन जीने और स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है। इस फैसले के बाद सेंसर बोर्ड से पहले ही पास हो चुकी 'पद्मावत' के 25 जनवरी को देश भर में रिलीज होने का रास्ता साफ हो गया। हालांकि कौर्ट के फैसले पर मध्य प्रदेश सरकार ने कहा है कि राज्य में यह फिल्म तब तक बैन रहेगी, जब तक सरकार सुप्रीम कोर्च के आदेश की समीक्षा नहीं कर लेती।
Published: undefined
इससे पहले गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा सहित कई भाजपा शासित राज्यों ने अपने राज्य में इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद कई फिल्मकारों औऱ कलाकारों ने खुशी जताते हुए कहा कि कोर्ट के फैसले से कला और अभिव्यक्ति की आजादी की जीत हुई है।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined