करीब दो दशक तक खासे विवादों में रहने के बाद डेरा सच्चा सौदा की गतिविधियां अगस्त, 2017 में इसके मुखिया राम रहीम गुरमीत सिंह को मिली कड़ी सजा के बाद स्थगित सी हो गई थींं। लंबी खामोशी के बाद ‘विवादों का यह डेरा’ एकबारगी फिर अपना वजूद बहाल करने के लिए सक्रिय हो गया है। डेरा सच्चा सौदा की इन दिनों पंजाब और हरियाणा में चल रहीं सरगर्मियां इसके साफ संकेत देती हैं। बीते दिनों दोषी बाबा की सबसे करीबी और 'राजदार' मानी जाने वाली हनीप्रीत की जमानत के बाद हालात सिरे से बदल गए हैं।
बीते हफ्ते डेरा के सिरसा स्थित मुख्यालय में बड़ा सत्संग (जिसे डेराप्रेमी नाम चर्चा भी कहते हैं) हुआ, जिसमें बाबा के परिजनों के साथ हनीप्रीत ने भी शिरकत की। इस हफ्ते (24 नवंबर को) डेरा सच्चा सौदा के पंजाब के सबसे बड़े केंद्र माने जाने वाले, बठिंडा जिले में स्थित सलाबतपुरा में बाकायदा बड़े समागम की शक्ल में नाम चर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें पुख्ता अनुमान के अनुसार पचास हजार से ज्यादा अनुयायियों ने हिस्सा लिया। दोनों समागम डेरा के पुराने और 'गुलजार' दिनों की याद दिलाते हैं।
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हरियाणा में फिर बीजेपी की सरकार आने के बाद डेरा सच्चा सौदा का इस मानिंद सक्रिय और मुखर होना आकस्मिक नहीं माना जा रहा। राज्य बीजेपी के कतिपय नेताओं को अंदरखाने बाबा पर रहम आने लगा है। इनमें से कई वरिष्ठ भाजपाई अगस्त, 2017 से पहले लगातार डेरा की दहलीज पर लंबे इंतजार के बाद मत्था टेका करते थे। इनमें चुनाव हार चुके पूर्व शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा प्रमुख हैंं। ऐसे कई नेता हत्या और बलात्कार केे आरोपी डेरा मुखी को भगवान का दर्जा भी दे चुके हैंं।
साथ ही गुरमीत राम रहीम सिंह के दबदबे के वक्त से डेरे की ओर से राजनीतिक सौदे-समझौते करने वाली विशेष टीम भी अब खुलकर नजर आने लगी है। हरियाणा में हुई नाम चर्चा में जमानत पर बाहर आई हनीप्रीत बड़ा चेहरा थीं, तो पंजाब में हुए समागम में, डेरे की 50 सदस्यीय कमेटी के प्रमुख (जो डेरे की ओर से गठित राजनीतिक विंग के मुखिया भी हैं) राम सिंह ने अगुवाई की।
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‘नवजीवन’ को हासिल विशेष जानकारी के मुताबिक नाम चर्चा के दोनों बड़े आयोजनों में यह बात उपस्थित हर शख्स के कान में डालने की कोशिश की गई कि बाबा राम रहीम गुरमीत सिंह जल्दी सलाखों से बाहर होंगे और डेरा पहले की तरह चलेगा। जमानत पर रिहाई और देशद्रोह की धारा हटने के बाद हनीप्रीत की मिसाल बकायदा एक रणनीति के तहत दी जा रही है। फिलहाल हनीप्रीत बाबा के परिवार के साथ रह रही है और बार-बार इस कोशिश में है कि जेल में बंद गुरमीत राम रहीम से किसी तरह मुलाकात हो जाए।
हरियाणा के एक आला अधिकारी ने बताया कि सरकार में बेहद रसूख रखने वाले कुछ लोग भी बाबा और हनीप्रीत की जेल में मुलाकात संभव कराने में जुटे हुए हैं। इसके मायने साफ हैं। हनीप्रीत को पहले भी राम रहीम गुरमीत सिंह के बाद (बाबा के करीबियों में) सबसे ज्यादा 'पावरफुल' माना जाता था और डेरा मुखी का सबसे करीबी राजदार भी। रिहाई के बाद हनीप्रीत को बाबा की सर्वोच्च प्रतिनिधि के तौर पर सक्रिय करने की कोशिशें तेज हैं। बाबा के कुछ परिजन और कार्यकारी समीति के सदस्य हनीप्रीत के समर्थन में हैं तो कुछ विरोध में भी हैं।
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डेरा सच्चा सौदा की अचानक तेजी से सक्रिय हुई कार्यकारी समिति के एक वरिष्ठ सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर 'नवजीवन' से कहा कि बहुत संभव है कि आने वाले दिनों में डेरा सच्चा सौदा की औपचारिक अगुवाई, बाबा के खुले इशारे से हनीप्रीत करें। इसलिए भी कि वह डेरे और डेरेदार के एक-एक पैंतरे से बखूबी वाकिफ हैं और बाबा के आर्थिक साम्राज्य के तमाम भेद उसके पास महफूज हैं।
वैसे, उम्र कैद की सजा पाए राम रहीम सिंह ने फिलहाल तक किसी को इस आस में औपचारिक तौर पर अपनी गद्दी नहीं सौंपी है कि कोई बड़ा दांंवपेंच अथवा चमत्कार उसे सलाखों से बाहर कर देगा। बाबा की फितरत से वाकिफ उनके करीबी रहे डेरे के कई रसूखदार लोग कहते मिल जाते हैं कि हनीप्रीत की जमानत पर रिहाई ने राम रहीम गुरमीत सिंह को यकीनन गहरा सुकून दिया होगा। खुद बाबा ने कई बार पेरोल पर रिहाई मांगी है और राज्य सरकार ने भी इन अपीलों का खास विरोध नहीं किया। पेरोल के लिए कुछ हास्यास्पद कारण भी बताए गए। लेकिन अदालती सख्ती उनकी मंशा पूरी नहीं होने दे रही। अपरोक्ष सरकारी आदेशों के चलते जेल प्रशासन की बाबा के प्रति अतिरिक्त नरमी जरूर इन दिनों चर्चा में है।
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इस बीच बदले हालात में डेरा सच्चा सौदा जाने वाले नेताओं की आवाजाही वहां फिर से शुरू हो गई है। बेशक वोट के जुगाड़ में अक्सर डेरे और डेरेदार के आगे नतमस्तक होने वाली बड़ी राजनीतिक शख्सियतें अभी सरेआम वहां जाने से परहेज कर रही हैं, लेकिन उनके प्रतिनिधि हाजिरी भरने लगे हैं। सिरसा से बीजेपी प्रत्याशी प्रदीप रातुसरिया और अब बीजेपी का दामन थाम चुके विधायक गोपाल कांडा ने विधानसभा चुनाव से पहले डेरे की हाजिरी भरी। इसी तरह बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं ने अपने प्रतिनिधियों को डेरा सच्चा सौदा भेजा था।
'नवजीवन' की जानकारी बताती है कि 24 नवंबर को डेरा सलाबतपुरा वाले समागम में भी कई अकाली और बीजेपी समर्थक तथा कार्यकर्ता देखे गए थे। पंजाब में अब शिरोमणि अकाली दल की डेरा विरोधी किसी भी तरह की बयानबाजी पूरी तरह से बंद है। पहले पंथक संगठन सलाबतपुरा मेंं होने वाले कार्यक्रमों का पुरजोर विरोध करते थे, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ। यह नए समीकरणों का एक इशारा है!
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वहीं डेरा सच्चा सौदा, सिरसा का बाकायदा एक प्रचार विभाग भी है जो गुपचुप अपना काम करता है। बाबा के सजायाफ्ता होने और डेरे में व्याप्त हो चुके सूनेपन के बाद उक्त विभाग लगभग निष्क्रिय था। अब उसने भी मोर्चा संभाल लिया है। फिर से इस प्रचार को हवा मिलने लगी है कि पंजाब, हरियाणा में डेरे के पचास लाख अनुयायी कई सीटों पर जीत हार का निर्णायक फैसला करते हैं। कहा जाने लगा है कि जो डेरे के प्रति नरमी दिखाएगा और उसका इकबाल फिर से बहाल करने में सहयोग करेगा, डेरा प्रेमी उसका साथ देंगे। हरियाणा में बीजेपी तो पंजाब में शिरोमणि अकाली दल शायद यह 'नरमी' दिखाने को तैयार और तत्पर हैं। इस सच को दरकिनार करके कि डेरा सच्चा सौदा के कुछ वोट भले ही हों लेकिन उसका मुखिया राम रहीम गुरमीत सिंह कत्ल, बलात्कार और देशद्रोह की संगीन धाराओं के तहत उम्र भर के लिए जेल में बंद है।
हां, यह हकीकत जरूर जगजाहिर है कि राम रहीम गुरमीत सिंह जेल से अपनी सत्ता बरकरार रखना चाहता है और इसीलिए डेरे की गतिविधियों ने हरियाणा और पंजाब में एकाएक रफ्तार पकड़ी है। साथ ही, बाहर आई हनीप्रीत के जरिए भी कई खेल खेले जाने तय हैं। फिलहाल तो डेरे के वकील बाबा और हनीप्रीत की जेल में मुलाकात कराने के रास्ते तलाश रहे हैं। माना जा रहा है कि इस संभावित मुलाकात के बाद डेरा सच्चा सौदा के रंग-ढंग अथवा तौर-तरीके नया आकार लेंगे। भरोसेमंद सूत्र बताते हैं कि सरकार के कुछ लोग भी इस कवायद में किसी न किसी स्तर पर डेरे की सहायता कर रहे हैं।
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