भारत में अधूरा लोकतंत्र है, और इसकी वजह है कट्टरवादी धार्मिक विचार, दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों की मजबूती, गौरक्षा के नाम पर हिंसा और मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएं। इन सबके चलते विश्व लोकतंत्र सूचकांक में भारत की रैकिंग 10 पायदान नीचे खिसक गई है।
ये सारे तथ्य सामने आए हैं, द इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट की सालाना डेमोक्रेसी इंडेक्स की रिपोर्ट से। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत लोकतांत्रिक शासन के मामले में पिछड़ गया है और उसकी रैंकिंग पिछले साल के 32 से खिसककर 42 पर पहुंच गई है।
Published: 03 Feb 2018, 10:55 PM IST
इस रिपोर्ट में सबसे बेहतर लोकतांत्रिक देशों में नॉर्वे पहले नबंर पर है, जबकि उत्तरी कोरिया सबसे नीचे। अमेरिका भी इस रैंकिंग में 22वें नंबर पर है।
भारत के बारे में इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में चुनावी प्रक्रिया बेहतर है, लेकिन बाकी जो मानक हैं उनमें भारत पिछड़ा हुआ है। ये मानक हैं राजनीतिक संस्कृति, सरकार का कामकाज, सरकार में नागरिकों की भागीदारी, नागरिक स्वतंत्रता और मीडिया की आजादी।
वैसे तो यह रिपोर्ट 31 जनवरी को जारी हुई, लेकिन एक विश्वास खो चुकी सरकार के निराशावादी बजट की वाहवाही के शोर में लोकतंत्र को आइना दिखाने वाली इस रिपोर्ट की फिक्र किसी को नहीं है। पिछले तीन दिन से देश के प्रिंट और टीवी से लेकर डिजिटल और सोशल मीडिया तक में बजट ही छाया हुआ है।
Published: 03 Feb 2018, 10:55 PM IST
द इकोनॉमिस्ट की इंटेलीजेंस यूनिट इस सूचकांक यानी इंडेक्स में सभी देशों को जिन मानकों पर आंकती है, उनमें चुनाव प्रक्रिया, बहुलतावाद, नागरिक आजादी, प्रशासनिक पारदर्शिता, राजनीतिक भागीदारी और राजनीतिक संस्कृति के आधार पर नंबर दिए जाते हैं। और इनमें से जिन मानकों पर भारत के नंबर कटे हैं, वे हैं, "संकीर्ण धार्मिक विचारधारा का उभार" और "विजिटलैंटिज्म और हिंसा में बढ़ोतरी"।
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में धर्म के नाम पर गैरजरूरी विवाद और मुस्लिम जैसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा बढ़ने के कारण देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में गिरावट आई है।
Published: 03 Feb 2018, 10:55 PM IST
इस बार की रिपोर्ट में अलग-अलग देशों में मीडिया की आजादी को भी शामिल किया गया है। रिपोर्ट में सामने आया है कि भारत में मीडिया को भी अधूरी ही आजादी है। कहा गया है कि भारत में मीडिया को सरकार, सेना और कट्टरवादी और आतंकी संगठनों से खतरा है। इसके अलावा हिंसा के जोखिम ने भी मीडिया की कार्यशैली को प्रभावित किया है। भारत में कई राज्य पत्रकारों के लिए खतरनाक हो गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने मीडिया की आजादी के पर कतर दिए हैं और मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं पर भी बड़े पैमाने पर पाबंदियां लगाई गई हैं।
लोकतांत्रिक व्यवस्था के मामले में दुनिया का सबसे ताकतवर और अमीर देश अमेरिका 21वें नंबर पर है। जापान, इटली, फ्रांस, इजराइल, सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग जैसे अमीर और रसूखदार देश भी इस मामले में छोटे यूरोपीय देशों से पीछे हैं।
Published: 03 Feb 2018, 10:55 PM IST
इस रिपोर्ट से जाहिर है कि भारत में लोकातंत्रिक जगह सिकुड़ती जा रही है, असहमित की आवाजों को दबाया जा रहा है, धार्मिक उन्माद बढ़ रहा है। इस सबसे आधा रह गए लोकतंत्र में अमीरों की संख्या बढ़ रही है। पिछले सप्ताह आई ऑक्सफम की रिपोर्ट में सबसे अमीर देशों में की सूची में भारत छठे स्थान पर था। वहीं अरबपतियों की तादा के लिहाज से भारत दुनिया में तीसरे नबंर पर है। इससे पता चलता है कि देश में अमीरी तो बढ़ी, लेकिन लोकतांत्रिक व्यवस्था आधी रह गई। लेकिन सूटबूट के शासन में बढ़ती अमीरी के सामने लोकतंत्र की शायद किसी को चिंता नहीं है।
Published: 03 Feb 2018, 10:55 PM IST
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: 03 Feb 2018, 10:55 PM IST