राजधानी दिल्ली के उत्तर-पूर्व में हुए दंगे में अब तक 53 लोगों की मौत की खबर है। मारे गए ज्यादातर लोग युवा थे। जीटीबी अस्पताल के आंकड़ों के मुताबिक, दंगों में मारे गए 40 प्रतिशत लोगों की उम्र 20 से 29 साल के बीच थी। वहीं दो लोग नाबालिग भी थे। द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक दंगों के अधिकांश पीड़ितों को जीटीबी अस्पताल लाया गया था। जो दिल्ली के दिलशाद गार्डन में स्थित है और दंगों से प्रभावित क्षेत्रों के करीब है। द प्रिंट की रिपोर्ट का डेटा जीटीबी अस्पताल में लाए गए घायलों पर आधारित है।
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उत्तर-पूर्वी जिले में जब दंगे की आग जल रही थी तब जीटीबी अस्पताल में 44 ऐसे लोग लाए गए थे जिनकी मौत या तो पहले ही हो गई थी या फिर उनकी मौत इलाज के दौरान हुई। इस अस्पताल में दंगों में जख्मी 298 लोगों का इलाज किया गया। अस्पताल द्वारा संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि मरने वाले 44 पीड़ितों में से 18 की उम्र 20 से 29 साल के बीच, आठ की उम्र 30 से 34 साल, तीन की उम्र 35 से 39 साल और पांच की उम्र 40 से 49 साल के बीच है।
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इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दंगों में मरने वाले ज्यादातर लोग युवा थे। रिपोर्ट में बताया गया है कि दंगों में वो लोग मारे गए जो अपने घरों से बाहर अपने परिवार वालों को बचाने के लिए बाहर निकले थे। या वो जो दंगों में फंस गए थे या वे लोग जो इन दंगों में हिस्सा ले रहे थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि चार शव 50 साल से अधिक उम्र के थे। उनमें से एक की उम्र 90 थी। दो और 15 से 19 साल की उम्र के नाबालिग थे। मरने वाले में चार ऐसे भी हैं जिनकी उम्र का पता नहीं लगाया जा सका।
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वहीं अगर बात करें घायलों की तो 298 लोगों में से 84 लोग ऐसे हैं जिनकी उम्र 20 से 29 के बीच है। जबकि 90 ऐसे लोग भी घायल हैं जिनकी उम्र 30 से 39 साल के बीच है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस घटना में 41 पुरुषों की मौत हुई, जबकि एक महिला को भी अपनी जान गंवानी पड़ी। दो शवों की पहचान नहीं हो सकी।
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