नई दिल्ली में सामाजिक संगठनों द्वारा जी-20 की तर्ज पर आयोजित WE-20 शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन, दिल्ली पुलिस ने कार्यक्रम स्थल सुरजीत भवन को बंद कर कार्यक्रम को रोकने की कोशिश की। पुलिस की इस कार्यवाही के बाद भवन में पहले से अंदर मौजूद लोग अंदर ही और बाहर से अंदर जाने वाले बाहर ही रह गए।
पुलिस की इस कार्रवाई को आयोजकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 'अघोषित आपातकाल' कहा है। पुलिस ने कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे लोगों को बाहर से ही वापस लौटा दिया, इसके चलते आयोजकों को बाकी का कार्यक्रम रद्द करना पड़ा। हालांकि पुलिस के पहुंचने से पहले सुरजीत भवन में कुछ वक्ता पहले से मौजूद थे जिनमें कांग्रेस नेता जयराम रमेश, सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर, वंदना शिवा और नंदिनी सुंदर आदि थे।
Published: undefined
सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने इस कार्यवाही को अलोकतांत्रिक और तानाशाही पूर्ण कदम बताते हुए कहा है कि "यह पूरी तरह मनमाना और अलोकतांत्रिक ही नहीं बल्कि निरंकुश कदम है। G20 India पर सुरजीत भवन दिल्ली में होने वाले "पीपुल्स समिट" को रोकने के लिए गेट पर ताला लगा दिया। साफ है कि वैश्विक अभिजात वर्ग और इसका भारतीय नेतृत्व लोगों की आवाज़ से भयभीत है।"
Published: undefined
आयोजकों ने बताया कि शिखर सम्मेलन बिल्कुल शांतिपूर्ण था और एक बंद सभागार में आयोजित किया जा रहा था। कार्यक्रम में काफी लोग थे, लेकिन कहीं कोई गड़बड़ी या किसी किस्म का कोई व्यवधान नहीं डाला गया था।
इस कार्यक्रम में मौजूद रहे कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि, "यह असाधारण है कि दिल्ली पुलिस लोगों को सीपीएम की एक इमारत के अंदर वी, द पीपल का प्रतिनिधित्व करने वाले कार्यकर्ताओं द्वारा आयोजित वी-20 बैठक में भाग लेने से रोक रही है। बैठक पूरी तरह शांतिपूर्ण है। सड़क पर कोई विरोध प्रदर्शन नहीं हो रहा है। दिल्ली पुलिस की कार्रवाई शुरू होने से पहले मैं सुबह 10:30 बजे प्रवेश करने में कामयाब रहा लेकिन अब बाहर निकलने में कठिनाई हो रही थी। यह नये भारत का लोकतंत्र है।"
Published: undefined
तमाम सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस कार्यक्रम को रोके जाने पर हैरानी और नाराजगी जताई है। सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व आईएएस अफसर हर्ष मंदर ने लिखा कि, "“बेहद परेशान हूं कि एचकेएस सुरजीत भवन दिल्ली में नागरिकों की पहल पर चल रहे We20 सम्मेलन को रोकने के लिए पहुंची और गेट बंद कर दिया है, लोगों को प्रवेश करने या बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी है। यह कैसा लोकतंत्र है जहां लोग एक जगह जमा होकर चिंतन भी नहीं कर सकते। लोगों की आवाज खामोश की जा रही है।"
Published: undefined
इस कार्यक्रम का आयोजन जी-20 देशों की जनविरोधी नीतियों को उजागर करने और उन पर चर्चा करने के लिए किया गया था। तीन दिवसीय इस कार्यक्रम की शुरुआत 18 अगस्त को हुई थी। इसमें जनांदोलनों से जुड़े लोग, सामाजिक कार्यकर्ता, सिविल सोसायटी और अन्य लोग शामिल थे। शुरुआती सत्र के दौरान इस कार्यक्रम में तीस्ता सीतलवाड, मेधा पाटकर, जयति घोष, मनोज झा, सहित अन्य लोग शामिल हुए थे। कार्यक्रम की अधिकारिक घोषणा के मुताबिक इसमें हर्ष मंदर, अरुण कुमार, बृंदा करात, हन्नान मोल्ला और राजीव गौड़ा आदि को शामिल होना था।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined