दिल्ली के उपराज्यपाल और केजरीवाल सरकार के बीच एक बार फिर तकरार बढ़ गई है। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने राजनीतिक विज्ञापनों को सरकारी विज्ञापन के रूप में प्रकाशित करने के लिए आम आदमी पार्टी से 97 करोड़ रुपये की वसूल करने का आदेश दिया है। उपराज्यपाल ने भुगतान के लिए दिल्ली की केजरीवाल सरकार को 15 दिनों का समय दिया है। एलजी वीके सक्सेना ने यह आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए साल 2015 के आदेश, दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा दिए गए साल 2016 के आदेश और 2016 के ही सीसीआरजीए के आदेश के मद्देनजर दिया है। दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार पर इन आदेशों के उल्लंघन का आरोप लगा है।
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उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव को दिए अपने आदेश में यह भी कहा है सितंबर, 2016 के बाद से सभी विज्ञापनों को सीसीआरजीए (CCRGA) को जांच और यह सुनिश्चित करने के लिए भेजा जाए कि क्या वे सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप हैं या नहीं? ऐसे में उपाराज्यपाल ने उक्त अवैध कमेटी के कामकाज में खर्च की गई राशि को भी वसूल करने की मांग की है। इसके अलावा यह भी आदेश दिया है कि सितंबर 2016 से अब तक दिल्ली सरकार के सभी विज्ञापनों की एक्सर्ट कमेटी द्वारा जांच की जाएगी।
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दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इस आदेश के आलावा केजरीवाल सरकार के पास लंबित पड़ी केंद्र की 11 महत्वपूर्ण परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिए अपनी शक्तियों का भी इस्तेमाल किया है। उपराज्यपाल के कार्यालय के अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। इसमें बताया गया है कि लंबे समय से केंद्र की कई परियोजनाओं को मंजूरी का इंतजार था। इसमें श्रीनिवासपुरी में जीपीआरए कॉलोनी का पुनर्विकास 2019 से लंबित, जीपीआरए सरोजिनी नगर अगस्त 2021 से लंबित और एनएचएआई द्वारा शहरी विस्तार सड़क (यूईआर-द्वितीय), सितंबर 2021 से लंबित थी।
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अधिकारियों ने बताया कि एलजी ने "जीएनसीटीडी नियमावली (टीओबीआर), 1993 के व्यापार के लेनदेन नियम 19 (5) के संदर्भ में फाइलों को वापस बुलाने की अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर केजरीवाल सरकार को 11 फाइलें भेजने के लिए कहा है। टीओबीआर का नियम 19(5) उपराज्यपाल को जनहित में मंत्रियों/मुख्यमंत्री के पास अत्यधिक लंबित फाइलों को वापस लेने का अधिकार देता है।
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