दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आज तत्काल प्रभाव से केजरीवाल सरकार में बतौर विशेषज्ञ काम कर रहे 400 लोगों की सेवाएं समाप्त कर दी है। बयान में कहा गया है कि इन लोगों की तैनाती में आरक्षण नीति के साथ पारदर्शिता का पालन नहीं किया गया था, जिस वजह से इन सबको सेवा से टर्मिनेट कर दिया गया है। ये लोग दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों, कॉरपोरेशन, बोर्ड और पीएसयू में बतौर ‘विशेषज्ञ’ नियुक्त थे।
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इस संबंध में उपराज्यपाल के कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि इन ‘विशेषज्ञों’ की नियुक्तियों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आरक्षण नीति का पालन नहीं किया गया था। सेवा से हटाए गए ये लोग दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों और एजेंसियों में फेलो, सहायक फेलो, सलाहकार, उप सलाहकार, विशेषज्ञ, सीनियर रिसर्च अधिकारी और कंसल्टेंट पदों पर नियुक्त थे।
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इसके अलावा उपराज्यपाल के कार्यालय की ओर से यह भी कहा गया है कि हटाए गए इन उम्मीदवारों में से कई तो इन पदों के लिए पर्याप्त शैक्षणिक योग्यता भी पूरी नहीं करते हैं। कई उम्मीदवार तो ऐसे हैं जिनके पास इन पदों के लिए पर्याप्त अनुभव भी नहीं है। लेकिन फिर भी बिना किसी प्राधिकरण और उचित मानदंडों के ही इनकी नियुक्तियां कर दी गई थीं।
मिली जानकारी के अनुसार, राज्य के सेवा विभाग ने इन 400 लोगों को तत्काल प्रभाव से हटाने के लिए एलजी से अनुरोध किया था, जिसे स्वीकार कर एलजी ने आदेश जारी कर दिया। सेवा विभाग ने 23 विभागों, स्वायत्त संस्थाओं और पीएसयू में विशेषज्ञ के तौर पर काम कर रहे इन लोगों के बारे में जानकारी जुटाई थी। इसमें सेवा विभाग को पता चला कि उद्योग मंत्रालय, पर्यावरण, पुरातत्व विभाग, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और दिल्ली आर्काइव्स जैसे विभागों ने इन लोगों की नियुक्ति से पहले सक्षम प्राधिकरण से किसी तरह की अनुमति नहीं ली थी।
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खबर के अनुसार सेवा विभाग को पड़ताल में पता चला कि उद्योग, पर्यावरण, पुरातत्व, महिला एवं बाल विकास और दिल्ली आर्काइव्स जैसे पांच मंत्रालयों में ऐसे 69 लोग पाए गए, जिनकी नियुक्ति के लिए किसी से कोई मंजूरी नहीं ली गई। इसी तरह दिल्ली सरकार से जुड़े 13 बोर्ड में ऐसे 155 लोग थे, जिनकी बहाली के लिए कोई मंजूरी नहीं ली गई।
इसके अलावा, दिल्ली असेंबली रिसर्च सेंटर (डीएआरसी), डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमिशन ऑफ दिल्ली (डीडीसीडी) और डिपार्टमेंट ऑफ प्लानिंग में 187 लोगों की नियुक्ती की जानकारी ही सेवा विभाग को नहीं दी गई थी। हालांकि, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, खाद्य सुरक्षा, इंदिरा गांधी हॉस्पिटल एंड ट्रांसपोर्ट जैसे चार विभागों में 11 लोगों की नियुक्ति में उपराज्यपाल की मंजूरी ली गई थी।
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