दिल्ली में चल रहे सियासी घटनाक्रम पर दिल्ली हाई कोर्ट की टिप्पणी आई है। उपराज्यपाल अनिल बैजल के घर पर दिल्ली के सीएम के धरने के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने सरकार के वकील से पूछा कि वह समझ नहीं पा रहे हैं कि ये धरना है या फिर हड़ताल। कोर्ट ने कहा कि क्या उपराज्यपाल के घर पर धरने के लिए एलजी की इजाजत ली गई थी।
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हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आप इस तरह से किसी के दफ्तर या घर में जबरदस्ती जाकर धरने पर नहीं बैठ सकते हैं। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मसले का हल निकालना जरूरी है। कोर्ट ने इस मामले में आइएएस एसोसिएशन को भी पार्टी बनाया है। इस मामले में दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता और बीजेपी विधायक विजेंदर गुप्ता ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
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दिल्ली हाई कोर्ट में इस मामले को लेकर दो याचिकाएं दायर की गई थीं। इसमें एक याचिका केजरीवाल सरकार के धरने के खिलाफ और दूसरी दिल्ली सरकार के कथित आईएएस अफसरों की हड़ताल के खिलाफ है।
अधिकारियों की कथित हड़ताल के मामले को लेकर सीएम अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्री एलजी हाउस में पिछले 8 दिन से हड़ताल पर बैठे हैं। इन लोगों ने दिल्ली प्रशासन में काम कर रहे आईएएस अधिकारियों को अनिश्चितकालीन हड़ताल खत्म करने का निर्देश देने और केंद्र से दिल्ली सरकार के गरीबों के घर-घर जाकर राशन देने के प्रस्ताव को मंजूरी देने की मांग की है। अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल कर रहे सत्येंद्र जैन की तबियत खराब होने के बाद रविवार देर रात लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में भर्ती कराया गया।
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इससे पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी और केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने शनिवार को केजरीवाल के समर्थन में प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इसके बाद रविवार को नीति अयोग की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की थी और जल्द गतिरोध खत्म करने के लिए दखल देने को कहा था।
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