दिल्ली सरकार के आंकड़ों के मुताबिक कोविड लहर के दौरान कम से कम 177 हेल्थकेयर वर्कर्स की मौत हुई थी। दिल्ली सरकार ने ऐलान किया था कि कोविड से हुई हेल्थकेयर के मामले में सरकार एक करोड़ रुपए का मुआवजा देगी। लेकिन बीते दो साल के दौरान सिर्फ 8 हेल्थकेयर वर्कर्स के परिवारों को ही अभी तक मुआवज़ा दिया गया है। वैसे सरकार कई मौकों पर दावा करती रही है कि उसने 17 और 13 परिवारों को मुआवजा दिया है। लेकिन आरटीआई से मिली जानकारी ने सारी सच्चाई सामने रख दी है।
आरटीआई के तहत मिले जवाब के मुताबिक आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार ने कहा है कि उसे मुआवजे के लिए 40 आवेदिन मिले थे, जिनमें से 8 को मंजूरी दे दी गई है जबकि 26 अभी विचाराधीन हैं। साथ ही यह सामने आया है कि इस दौरान 6 आवेदन को खारिज कर दिया गया। यह मुआवाज डीडीएमए (दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी) और मुख्यमंत्री कोविड परिवार आर्थिक सहायता योजना से अलग है।
Published: undefined
आरटीआई एक्टिविस्ट कन्हैया कुमार की अर्जी पर यह सूचनाएं सामने आई हैं। दरअसल दिल्ली सरकार इस मामले में विरोधाभासी सूचनाएं देती रही है। अगस्त 2021 में एक आरटीआई के जवाब में सरकार ने बताया था कि उसने 17 हेल्थकेयर परिवारों (जिनमें डॉक्टर, सैनिटरी वर्कर, शिक्षक आदि भी थे) को एक करोड़ रुपए का मुआवजा दिया है। इसके बाद फरवरी 2022 में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ऐलान किया कि दिल्ली सरकार 13 हेल्थकेयर वर्कर्स के परिवारों को एक करोड़ रुपए का मुआवजा देगी।
कोविड लहर के दौरान हेल्थकेयर वर्कर्स के काम की तारीफ करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अप्रैल 2020 में ऐलान किया था कि जिस भी हेल्थकेयर वर्कर की कोविड ड्यूटी करते हुए मौत होगी उसके परिवार को एक करोड़ रुपए का मुआवजा दिया जाएगा। उन्होंने कहा था कि हेल्थकेयर वर्कर्स भी सैनिकों की तरह हैं जो देश की रक्ष कर रहे हैं। 13 मई 2020 को सरकार द्वारा जारी एक सर्कुलर के मुताबिक सभी किस्म के हेल्थकेयर वर्कर्स को एक करोड़ रुपए मुआवजे का ऐलान कर दिया गया था।
Published: undefined
लेकिन दो साल गुजरने के बाद भी अभी तक यह ऐलान खोखला ही साबित हुआ है। ऐलान के 20 महीने गुजरने के बाद सरकार ने एक मंत्री समूह बनाया, जिसमें डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत को शामिल किया गया। इस मंत्री समूह की सिफारिशें मुख्यमंत्री कार्यालय को मंजूरी के लिए भेजी जानी हैं।
आरटीआई से सामने आया है कि सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक दिल्ली में कोविड से 56 डॉक्टर, 13 नर्समों, 16 पैरामेडिकल स्टाफ और 92 सफाई कर्मचारियों की मौत ड्यूटी के दौरान हुई है।
मुआवजा मिलने में देरी के चलते हेल्थकेयर वर्कर्स के परिवारों ने नर्सिंग स्टाफ के साथ जनवरी 2022 में प्रदर्शन भी किया था। नर्स यूनियन ने कहा है कि जिस राजकुमार अग्रवाल की कोविड ड्यूटी करते हुए लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल में कोविड से मई 2021 में मौत हुई थी उसके परिवार को अभी दो सप्ताह पहले ही मुआवजा मिला है। वह भी तब जब परिवार ने पब्लिक अपील जारी की। यूनियन का कहना है कि दिल्ली सरकारने अग्रवाल के परिवार से किसी को भी सहानुभूति के आधार पर नौकरी देने से भी इनकार कर दिया है।
दिल्ली नर्स फेडरेशन के महासचिव लीलाधर रामचंदानी का कहना है कि फेडरेशन दो साल से इस बारे में सरकार को पत्र लिख रही है, लेकिन सरकार हेल्थकेयर वर्कर् को लेकर संवेदनहीन बनी हुई है।
दिल्ली सरकार ने इस विषय में फिलहाल कोई टिप्पी नहीं की है।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined