दिल्ली में जहरीली हवा ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। राजधानी में लगातार हवा की गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। आज भी दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 486 'गंभीर' श्रेणी में दर्ज किया गया है। द्वारका सेक्टर-8 में AQI 486, जहांगीरपुरी में 463 और आईजीआई एयरपोर्ट (टी3) के आसपास 480 दर्ज किया गया। एनसीआर में हाल बेहाल है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPBC) के अनुसार, नोएडा के सेक्टर 1 में AQI 410 गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया।
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आनंद विहार में एक्यूआई पीएम 10 454 और पीएम 2.5 431 के साथ 'गंभीर' श्रेणी में रहा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, नाइट्रोडाइऑक्साइड 97 और कार्बन ऑक्साइड 101 'मध्यम' श्रेणी में दर्ज किया गया।
बवाना में पीएम 2.5 'गंभीर' श्रेणी के अंतर्गत 464 पर पहुंच गया, जबकि पीएम 10 466 पर था, जो 'गंभीर' श्रेणी के अंतर्गत था। सीओ को 'मध्यम' श्रेणी के तहत 110 पर दर्ज किया गया था।
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दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी (डीटीयू) के स्टेशन पर पीएम 10 317 ('बहुत खराब') दर्ज किया गया, जबकि पीएम 2.5 249 ('खराब') और सीओ 70 पर था, जबकि एनओ2 79 पर था, दोनों 'संतोषजनक' श्रेणी में थे।
आईजीआई हवाईअड्डे क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता पीएम 2.5 483 और पीएम 10 463 के साथ 'गंभीर' श्रेणी में थी, जबकि सीओ 108 ('मध्यम') और एनओ2 61 ('संतोषजनक') तक पहुंच गया।
आईटीओ पर पीएम 2.5 373 दर्ज किया गया, जो इसे 'बहुत खराब' श्रेणी में रखता है, जबकि पीएम 10 230 तक पहुंच गया है, जो इसे 'खराब' श्रेणी में रखता है। शनिवार को नाइट्रोडाइऑक्साइड 252 ('खराब') और कार्बन ऑक्साइड 144 ('मध्यम') दर्ज किया गया। लोधी रोड पर पीएम 2.5 सघनता के साथ एक्यूआई 415 पर 'गंभीर' श्रेणी में था, जबकि पीएम 10 419 पर था, जो 'गंभीर' श्रेणी में था।
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आइए जानते हैं कि आखिर पीएम 2.5 और पीएम 10 क्या है? पीएम 2.5 और पीएम 10 वायु गुणवत्ता को मापने का पैमाना है। पीएम का मतलब होता है पार्टिकुलेट मैटर जो कि हवा के अंदर सूक्ष्म कणों को मापते हैं। पीएम 2.5 और 10 हवा में मौजूद कणों के आकार को मापते हैं। पीएम का आंकड़ा जितना कम होगा हवा में मौजूद कण उतने ही अधिक छोटे होंगे।
हवा में पीएम 2.5 की मात्रा 60 और पीएम10 की मात्रा 100 होने पर ही हवा को सांस लेने के लिए सुरक्षित माना जाता है। गैसोलीन, तेल, डीजल ईंधन या लकड़ी के दहन से पीएम 2.5 का अधिक उत्पादन होता है। अपने छोटे आकार के कारण, पार्टिकुलेट मैटर फेफड़ों में गहराई से खींचा जा सकता है और पीएम 10 की तुलना में अधिक हानिकारक हो सकता है।
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