राजधानी दिल्ली की एक अदालत ने कोरोना की दवा का दावा करने के लिए बाबा रामदेव के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग करने वाली एक याचिका पर दिल्ली पुलिस से कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। एक अधिवक्ता ने दो दिन पहले एक अर्जी दायर कर योग गुरु बाबा रामदेव, पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और अन्य के खिलाफ कथित तौर पर कोविड-19 का इलाज खोजने का दावा करके लोगों को धोखा देने के लिए एक प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया था।
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मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट सुमीत आनंद ने अधिवक्ता तुषार आनंद द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई की। इस मामले में अदालत ने दिल्ली के वसंत विहार पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) को एक नोटिस जारी किया गया है और 15 जुलाई तक एक कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है, जब मामले की अगली सुनवाई होगी।
सुनवाई के दौरान, तुषार आनंद की ओर से पेश वकील ललित वलेचा ने अदालत को बताया कि पुलिस शिकायत पर सिर्फ अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए एफआईआर दर्ज करने में विफल रही। वलेचा ने आगे कहा कि यदि शिकायत में संज्ञेय अपराध का खुलासा किया गया है तो पुलिस एफआईआर दर्ज करने के अपने कर्तव्य से बच नहीं सकती है।
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आवेदक ने विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग की, जिसमें 270 (घातक खतरनाक बीमारी के संक्रमण को फैलाने की संभावना), 420 (धोखाधड़ी) और 504 (जानबूझकर सार्वजनिक शांति को तोड़ने का इरादा) और संबंधित वर्गों का अपमान शामिल है। ड्रग्स एवं कॉस्मेटिक्स अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज करने की मांग की गई है।
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आवेदन में अधिवक्ता आनंद ने दावा किया कि रामदेव और अन्य व्यक्तियों को केवल एक प्रतिरक्षा बूस्टर बनाने की अनुमति थी और वे मीडिया में गलत दावा कर रहे हैं कि उन्हें कोविड-19 का इलाज मिल गया है। आवेदन में कहा गया है कि आरोपी व्यक्तियों ने जनता को नुकसान पहुंचाने के गलत इरादे से पूर्व नियोजित षड्यंत्र के तहत इस तरह के दुष्प्रचार किए और खुद को गलत तरीके से लाभ पहुंचाने के इरादे से एक ऐसा उत्पाद तैयार किया।
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पतंजलि ने 23 जून को कोरोनिल टैबलेट और स्वासारि वटी दवा लॉन्च की थी, जिसमें दावा किया गया कि वे सात दिनों के भीतर कोविड-19 को ठीक कर सकती हैं। एक जुलाई को आयुष मंत्रालय ने पतंजलि को कोरोनिल बेचने की अनुमति दी, मगर साथ ही हिदायत भी दी गई कि इसे एक प्रतिरक्षा बूस्टर के रूप में विज्ञापित किया जाएगा, न कि एक कोरोनावायरस इलाज के तौर पर।
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