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दिल्ली: निचली अदालत से अरविंद केजरीवाल को झटका, 12 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में में भेजे गए

आम आदमी पार्टी सुप्रीमो से पूछताछ के लिए हिरासत में लेने की एजेंसी की अर्जी पर राउज एवेन्यू कोर्ट ने 26 जून को सीएम केजरीवाल को तीन दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया था।

फोटोः IANS
फोटोः IANS 

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाला से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में शनिवार को एक अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत (12 जुलाई तक) में भेज दिया। इससे पहले दिन में वेकेशन बेंच की जज सुनैना शर्मा ने सीबीआई के आवेदन पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने कहा था कि पुलिस रिमांड की अवधि समाप्त होने पर अदालत के पास आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेजने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। आम आदमी पार्टी सुप्रीमो से पूछताछ के लिए हिरासत में लेने की एजेंसी की अर्जी पर राउज एवेन्यू कोर्ट ने 26 जून को सीएम केजरीवाल को तीन दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया था।

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इस सप्ताह की शुरुआत में तिहाड़ जेल में केंद्रीय एजेंसी द्वारा सीएम केजरीवाल से पूछताछ किए जाने के बाद उन्हें विशेष अदालत में पेश करने की सीबीआई को अनुमति दी गई थी। बता दें कि सीएम केजरीवाल को जब वेकेशन बेंच के जज अमिताभ रावत के सामने पेश किया गया था, तब सीबीआई ने उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया। इस हफ्ते की शुरुआत में तिहाड़ जेल में सीबीआई द्वारा सीएम केजरीवाल से पूछताछ के बाद, उन्हें विशेष अदालत में पेश करने की अनुमति केंद्रीय एजेंसी को दे दी गई थी।

इसके बाद सीएम केजरीवाल ने शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत पर उनकी रिहाई पर दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से दिए गए अंतरिम रोक को चुनौती देने वाली अपनी याचिका सुप्रीम कोर्ट में वापस ले ली थी। सीएम केजरीवाल का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस एसवीएन भट्टी की वेकेशन बेंच के सामने दलील दी। उन्होंने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल को जमानत देने के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के लेटेस्ट फैसले के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर की जाएगी।

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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की दायर याचिका पर मंगलवार को सुनाए गए अपने अंतिम फैसले में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि निचली अदालत की वेकेशन बेंच ने पूरी सामग्री पर विचार नहीं किया। उसे ईडी को जमानत पर बहस करने का समान अवसर देना चाहिए था।

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