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दिल्ली में बढ़ा प्रदूषण, आनंद विहार इलाके में वायु की गुणवत्‍ता खतरनाक स्‍तर पर

हरियाणा और पंजाब में किसानों के पराली जलाना शुरू करने के साथ ही इसका खतरनाक धुआं दिल्‍ली को अपने आगोश में लेने लगा है। शनिवार को दिल्‍ली की हवा की गुणवत्‍ता अचानक खराब होने के पीछे यही कारण बताया जा रहा है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया  आनंद विहार इलाके में वायु की गुणवत्‍ता खतरनाक स्‍तर पर

पड़ोसी राज्यों पंजाब और ह‌रियाणा में किसानों ने पराली जलाना शुरू कर दिया है, और इसी के साथ दिल्ली में हवा की क्वालिटी सबसे खराब के स्तर पर पहुंच गई है। हर साल इस महीने में दिल्ली में हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित होती है। शनिवार को दिल्ली में हवा की गुणवत्‍ता अचानक खराब हो गई। सुबह 7 बजे आनंद विहार इलाके में वायु की गुणवत्‍ता का स्‍तर खतरनाक स्‍तर पर पहुंच गया। यहां पीएम-10 (पार्टिकुलेट मैटर) 699 दर्ज किया गया। बाकी इलाकों में भी एयर क्‍वालिटी अच्‍छी नहीं रही। पूर्वी दिल्‍ली में शाहदरा, पटपड़गंज, दिलशाद गार्डन, सोनिया विहार में भी वायु गुणवत्‍ता खतरनाक स्तर पर दर्ज की गई।

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प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, सुबह सात बजे तक श्रीनिवासपुरी में पीएम 2.5 का स्‍तर 317, जबकि शाहदरा में पीएम-10 का स्‍तर 569, वजीरपुर में 680, रोहिणी में 493, मुंडका में 423, अशोक विहार में 362 दर्ज किया गया।

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वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार द्वारा पराली जलाने का मुद्दा बार-बार उठाए जाने के बावजूद केंद्र सरकार, हरियाणा और पंजाब सरकार ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। उन्होंने आशंका जताई कि ठंड का मौसम आते ही फिर से दिल्ली समेत यह पूरा क्षेत्र गैस चैंबर बन जाएगा और लोगों को सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ेगा।

केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, “हम केंद्र, हरियाणा और पंजाब सरकारों के साथ इस मामले को उठाते रहे हैं, फिर भी अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। किसान फिर से असहाय हो गए हैं। दिल्ली समेत पूरा क्षेत्र फिर से गैस चेंबर बन जाएगा। लोगों को फिर से सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ेगा। यह अपराध है।”

वहीं केंद्र सरकार ने दिल्ली के पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा से 11 अक्‍टूबर को अपील की कि वे प्रदूषण नियंत्रित करने की दिशा में धान की पराली जलाये जाने से रोकने के लिए पूरी गंभीरता और जिम्मेदारी से काम करें।

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वहीं किसानों का कहना है कि पराली जलाने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं है।

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