उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन की तारीख का तो ऐलान हो गया है, लेकिन अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर धन्नीपुर गांव में प्रस्तावित मस्जिद निर्माण का प्रोजेक्ट अटका पड़ा है। इसकी वजह अधिकारियों द्वारा राज्य सरकार की ओर से आवंटित जमीन का लैंड यूज अब तक नहीं बदलना है।
परियोजना के लिए गठित ट्रस्ट के पदाधिकारियों के अनुसार परियोजना पर करीब 300 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है, जो तीन चरणों में पूरी होगी। ट्रस्ट के पदाधिकारी ने कहा कि यह एक प्रक्रियात्मक देरी है। पदाधिकारियों ने कहा कि अयोध्या विकास प्राधिकरण (एडीए) ने आवेदन जमा करने के डेढ़ साल बाद भी अभी तक मौलवी अहमदुल्ला शाह मस्जिद के नक्शे को पास नहीं किया है।
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अयोध्या जमीन विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार ने अयोध्या के धन्नीपुर गांव में सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन दी थी। वक्फ बोर्ड ने 3,500 वर्ग मीटर में मस्जिद के निर्माण के लिए इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट को जमीन सौंपी थी। इसके अलावा चार मंजिला सुपर स्पेशियलिटी चैरिटी अस्पताल और 24,150 वर्ग मीटर का सामुदायिक रसोईघर, 500 वर्ग मीटर का संग्रहालय और 2,300 वर्ग मीटर में इंडो-इस्लामिक रिसर्च सेंटर का प्रस्ताव है।
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पूरे प्रोजेक्ट को मौलवी अहमदुल्लाह शाह योजना का नाम देने के बाद ट्रस्ट ने अयोध्या विकास प्राधिकरण से अपना नक्शा पास कराने के लिए मई 2021 में ऑनलाइन आवेदन किया था।
एडीए के वाइस चेयरमैन विशाल सिंह ने कहा, 'पूरे मामले में अथॉरिटी के स्तर से कोई कार्रवाई लंबित नहीं है। अब जो कार्रवाई होनी है, वह सरकार के स्तर से की जाएगी।'
इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन ने कहा कि यह जानबूझकर देरी नहीं है, बल्कि एक प्रक्रियात्मक देरी है, प्राधिकरण के अधिकारियों की वजह से कुछ भी नहीं है। क्योंकि यह कृषि भूमि है, भूमि उपयोग परिवर्तन से पहले कुछ शर्तों को पूरा करना होगा। हम प्रक्रियात्मक देरी को समझते हैं।
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सचिव अतहर हुसैन ने कहा कि लेकिन कुछ ऐसे तत्व हैं जो स्थिति का फायदा उठाना चाहते हैं और समाज में दरार पैदा करना चाहते हैं। शुरू से ही हमारा प्रयास संघर्ष को समाप्त करना था, इसलिए भूमि उपयोग में देरी पर दोषारोपण का खेल नहीं होना चाहिए। जो लोग प्रक्रिया को नहीं समझते हैं उन्हें इस मामले पर नहीं बोलना चाहिए। उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण की परियोजना से कोई तुलना नहीं की जानी चाहिए।
अतहर हुसैन ने कहा कि एक बार भूमि उपयोग बदल दिया जाएगा और प्राधिकरण द्वारा नक्शा पारित कर दिया जाएगा तो मस्जिद बनेगी। मस्जिद बनने में सिर्फ एक साल लगेगा। हम भूमि उपयोग में देरी के कारण कोई संघर्ष नहीं चाहते हैं। प्रक्रिया के कारण देरी हुई है। मैं केवल इतना कह सकता हूं कि जैसे ही प्राधिकरण द्वारा नक्शा पारित किया जाएगा, निर्माण शुरू हो जाएगा।
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