केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 पेश कर दिया है। इस पर बहस जारी है।
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इस विधेयक को विरोध करते हुए राज्यसभा में कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कहा, “ये जो बिल हैं उन्हें कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से रिजेक्ट करती है। ये बिल हिंदुस्तान और विशेष तौर से पंजाब, हरियाणा और वेस्टर्न यूपी के जमींदारों के खिलाफ है। हम किसानों के इन डेथ वारंटों पर साइन करने के लिए किसी भी हाल में तैयार नहीं।”
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राज्यसभा में टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कृषि बिलों पर बहस के दौरान कहा, “पीएम ने कहा कि विपक्ष किसानों को गुमराह कर रहा है। आपने (केंद्र) 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया है। लेकिन, मौजूदा दरों पर किसान की आय 2028 से पहले दोगुनी नहीं होगी। वादे के मामले में आपकी विश्वसनीयता कम है।”
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समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने कृषि बिलों पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि एक बाध्यता है कि सत्ता पक्ष इन विधेयकों पर बहस या चर्चा नहीं चाहता है। वे केवल इन बिलों को पास करवाना चाहता है। सरकार ने किसी भी किसान संघ से परामर्श भी नहीं किया है।”
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राज्यसभा में कृषि विधेयकों पर चर्चा के दौरान बीजेपी की सहोयगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल के सांसद नरेश गुजराल ने कहा, “इन विधेयकों को एक प्रवर समिति को भेजा जाना चाहिए ताकि सभी हितधारकों को सुना जा सके। यह मत सोचिए कि पंजाब के किसान कमजोर हैं।”
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कृषि विधेयकों पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा, “क्या सरकार देश को आश्वस्त कर सकती है कि कृषि सुधार विधेयकों के पारित होने के बाद, किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी और कोई भी किसान आत्महत्या नहीं करेगा? इन विधेयकों पर चर्चा करने के लिए एक विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए।”
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