अगर आप पीएम मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में हैं, तो दूध पीने से पहले दो बार सोचिए कि आप जो दूध पी रहे हैं उसमें मिलावट तो नहीं है। मिलावट में पेंट और डिटर्जेट भी हो सकते हैं। जी हां, उत्तर प्रदेश के डेयरी प्लांटों में छापेमारी के दौरान पाया गया कि दूध में डिटर्जेट और यूरिया जैसे रासायनिक पदार्थ खुलेआम मिलाए जा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के खाद्य विभाग ने मंगलवार को वाराणसी में एक बड़े डेयरी प्लांट से 10 हजार लीटर से ज्यादा नकली दूध बरामद किया है, जिसमें डिटर्जेट मिलाया गया था। यह प्लांट प्योर डेयरी सॉल्यूशंस का है जो काशी संयोग ब्रांड के नाम से दूध बेचता है। पिछले कुछ दिनों से उपभोक्ता दूध की गुणवत्ता में खराबी की शिकायत कर रहे थे जिसके बाद छापेमारी की गई।
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विभाग के अधिकारियों ने बताया कि छापेमारी के दौरान नकली दूध आपूर्ति करने वालों पर शिकंजा कसा गया और प्रदेश के अन्य हिस्सों से भी इसी प्रकार नकली दूध बरामद किया गया। पिछले कुछ महीने के दौरान की गई छापेमारी में पता चला कि डिटर्जेट, यूरिया और स्टार्च का इस्तेमाल करके दूध बनाकर बड़े पैमाने पर बाजार में बेचा जा रहा है।
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देश में इस तरह का ये पहला मामला नहीं है। पिछले साल पटियाला में एक बड़े डेयरी प्लांट में की गई छापेमारी में 7000 लीटर मिलावटी दूध पकड़ा गया जिसमें डिटर्जेट का इस्तेमाल किया गया था। दिल्ली खाद्य सुरक्षा विभाग की जांच में देश की राजधानी से लिए गए दूध के कई नमूने पीने योग्य नहीं पाए गए। रिपोर्ट में कहा गया कि जनवरी 2018 से अप्रैल 2019 तक 477 नमूनों की जांच सरकारी लैब में की गई जिसमें दूध की गुणवत्ता निम्न स्तर की पाई गई।
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उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में अधिकतर स्थानीय डेयरी प्लांट गर्मियों में दूध की मांग बढ़ने पर मिलावटी दूध की आपूर्ति करते हैं। पशु कल्याण बोर्ड के सदस्य मोहन सिह अहलूवालिया का कहना है कि देश में बेचे जा रहे 68.7 फीसदी दूध एफएसएसएआई के मानक से निम्न स्तर के हैं। उन्होंने कहा कि मिलावटी दूध में आमतौर पर डिटर्जेट, कास्टिक सोड, ग्लूकोज, सफेद पेंट और रिफाइंड तेल मिलाए जाते हैं।
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देश के किसी और इलाके से इस तरह का मामला सामने आए तो समझ में आता है, लेकिन भ्रष्टाचार पर वार की बात करने वाले पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में इतने बड़े पैमाने पर लोगों की जान के साथ हो रहा खिलवाड़ राज्य में उनकी ही पार्टी की सरकार पर सवाल खड़ा करता है।
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