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खुदकुशी करने वालों में अधिक संख्या दिहाड़ी कामगार, गृहणियों और सेल्फ इम्पलायड की, एनसीआरबी के आंकड़ों से खुलासा

बीते साल यानी 2021 में आत्महत्या करने वाले लोगों में बड़ी तादाद दिहाड़ी मजदूरों और कामगारों या अपना खुद का काम करने वालों की थी। यह खुलासा राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट से हुआ है।

प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो 

बीते साल यानी 2021 में आत्महत्या करने वाले लोगों में बड़ी तादाद दिहाड़ी मजदूरों और कामगारों या अपना खुद का काम करने वालों की थी। बीते साल में जितने लोगों ने खुदकुशी की है उनमें से 26 फीसदी इन्हीं वर्ग के लोग थे। यह खुलासा राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट से हुआ है।

लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि आम धारणा के विपरीत खुदकुशी की वजह आर्थिक तंगी या प्रेम आदि का चक्कर नहीं था बल्कि पारिवारिक कारण या बीमारियां थीं।

एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक देश में कुल आत्महत्या करने वालों में पारिवारिक कारणों से जान देने वालों का अनुपात 33.2 फीसदी रहा जबकि बीमारी से तंग आकर खुदकुशी करने वालों की तादाद 18.6 फीसदी रही।

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इसके अलावा ड्रग्स या शराब की लत के कारण 6.4 फीसदी और वैवाहिक मामलों आदि से जुड़े मुद्दों की वजह से 4.8 फीसदी लोगों ने आत्महत्या की।

रिपोर्ट में बताया गया है कि बीते साल देश में कुल 1,64,033 लोगों की मौत आत्महत्या के कारण हुई। जोकि इससे पिछले साल के मुकाबले 7.2 फीसदी अधिक हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते साल 37,000 दिहाड़ी कामगारों या मजदूरों ने और 18,803 खुद का काम करने वाले लोगों ने खुदकुशी की है।

दुर्घटना से मौत और आत्महत्या के कारण मौत शीर्ष से जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दिहाड़ी मजदूरों की मौत की संख्या में राष्ट्रीय औसत के मुकाबले तेजी आई है। रिपोर्ट के अनुसार, जिन लोगों ने आत्महत्या की उनमें से 1,18,979 पुरुष हैं, इनमें से 37,751 दिहाड़ी कामगार हैं, और दूसरे नंबर पर 18,803 लोग खुद का काम करने वाले हैं। इसके अलावा बीते साल में 45,025 महिलाओं ने खुदकुशी की है।

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आंकड़ों के मुताबिक 2020 में भी आत्महत्या करने वालों में दिहाड़ी मजदूरों की तादाद अधिक थी। उस साल 24.6 फीसदी या 37,666 दिहाड़ी कामगारों की मौत खुदकुशी से हुई थी। एनसीआरबी ने दुर्घटना और आत्महत्या से मौतों के मामले के आंकड़े देते हुए इन्हें 9 कामकाजी वर्गों में विभाजित किया है। इनमें 16.73 फीसदी लोग ऐसे हैं जो खुद का काम करते थे यानी सेल्फ इम्पलायड थे।

रिपोर्ट में बताया गया है कि ऐसे लोगों की संख्या 2020 के 17,332 के मुकाबले 2021 में बढ़कर 20,231 हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में आत्महत्या करने वालों में वेतनभोगियों के मुकाबले छात्रों की संख्या अधिक थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कम आमदनी वाले वर्ग के लोगों (ऐसे लोग जो सालाना एक लाख रुपए से कम कमाते हैं) की आत्महत्या के मामल बीते साल अधिक रहे हैं।

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जिन राज्यों में सर्वाधिक खुदकुशी के मामले दर्ज हुए हैं इनमें महाराष्ट्र में 13.5 फीसदी केस हैं जबकि तमिलनाडु में 11.5 फीसदी और मध्य प्रदेश में 9.1 फीसदी केस सामने आए हैं।

दुर्घटना से मौत के मामलों में एनसीआरबी ने अधिकतर मौतों का कारण भूकंप, बाढ़, गर्मी जैसी प्राकृतिक आपदाओं को बताया है, हालांकि इनमें 2020 के मुकाबले कमी आई है।

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