11 जनवरी को 24वें लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल लेक्चर में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने भारत में हिंदुत्व की राजनीति की आलोचना की। उन्होंने कहा कि ऐसी राजनीति भारत के लिए वैश्विक शक्ति बनने की राह में बाधक बन सकती है।
उन्होंने आगे कहा, “आप हर मुद्दों का समाधान जंग से नहीं निकाल सकते है। इसके लिए आपको शांति और बातचीत का रास्ता अपनाना होगा। यूरोप और दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत में इसकी संभावना अधिक है। यही वजह थी कि जब मैं देश का मुख्य न्यायधीश था तो मैंने अयोध्या विवाद पर बातचीत का सुझाव दिया था और इसके लिए वो मध्यस्थता के लिए तैयार थे”
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उन्होंने आगे कहा, “भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है जो कि वैश्विक शक्ति बनना चाहता है। लेकिन आप कभी भी सांप्रदायिक छवि के साथ वैश्विक शक्ति नहीं बन सकते है। आज कल भारत में जो भी माहौल बना हुआ है उससे भारत अपनी छवि सांप्रदायिक देश के तौर पर गढ़ रहा है, जो कि राष्ट्रहित में नहीं है।
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उन्होंने कहा कि 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान सफलतापूर्वक देश के नेतृत्व करने वाले भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री कहा करते थे कि भारत धर्म को राजनीति में शामिल नहीं करता है।
उन्होंने कहा, “शास्त्री जी ने एक बार देखा कि हमारे देश की खासियत है कि हमारे देश में हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, पारसी और अन्य धर्मो के लोग रहते हैं। हमारे यहां मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और गिरजाघर हैं। लेकिन हम इन सबको राजनीति में नहीं लाते हैं। जहां तक राजनीति का सवाल है, हम उसी प्रकार भारतीय हैं जिस प्रकार अन्य लोग।”
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