मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा है। 9 मई को मादा चीता दक्षा की मौत के बाद आज फिर दो माह के एक शावक चीता की मौत हो गई। दक्षिण अफ्रीकी देशों से चीतों को भारत लाकर बसाने के प्रोजेक्ट को दो माह में यह चौथा झटका लगा है। इसके पहले नामीबिया से लाई गई साशा, दक्षिण अफ्रीका से लाए गए उदय और दक्षा की मौत हो चुकी है। इस प्रकार पार्क में महज गो महीने में ही 3 नामीबियाई चीते और एक शावक की जान जा चुकी है।
कूनो नेशनल पार्क के प्रबंधन के अनुसार, मादा चीता ज्वाला (सियाया) ने 24 मार्च को चार शावकों को जन्म दिया था। मंगलवार को सुबह 7 बजे ज्वाला के निगरानी दल ने शावकों के साथ उसे एक जगह पर बैठा पाया। इसके कुछ ही देर बाद ज्वाला उठकर शावकों के साथ चलने लगी तो तीन शावक भी उसके साथ चलने लगे, लेकिन चौथा शावक अपने स्थान पर ही लेटा रहा। निगरानी दल ने चौथे शावक का करीब से निरीक्षण किया तो उसे उठने में असमर्थ पाया।
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प्रबंधन के अनुसार दल को देखकर उसने सिर उठाने का प्रयास भी किया, लेकिन असफल रहा। इसके बाद तत्काल चिकित्सक दल को सूचना दी गई। दल ने पहुंचकर शावक को आवश्यक उपचार देने का प्रयास किया, लेकिन कुछ ही देर में शावक की मृत्यु हो गई। शव के परीक्षण में प्रथमदृष्टया मृत्यु का कारण शावक की कमजोरी बताई जा रही है। प्रबंधन का दावा है कि मृतक शावक शुरू से ही चार शावकों में सबसे कमजोर था।
हालांकि, शावक की मौत से पूरे वन अमले के दावों पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि कूनो नेशनल पार्क में महज दो महीने में ही 3 नामीबियाई चीते जान गंवा चुके हैं। इससे पहले 9 मई को मादा चीता दक्षा की मौत हो गई थी। उसके पहले मार्च और अप्रैल में उदय और साशा नाम के दो चीतों की किडनी की बीमारी के चलते मौत हो गई थी। अब तक ती न चीतों और एक शावक की मौत हो चुकी है।
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27 मार्च को 4 साल की साशा चीता की तबीयत खराब हो गई थी। उसने 27 मार्च को दम तोड़ दिया। मौत का कारण किडनी में संक्रमण बताया गया।
इसके बाद 25 अप्रैल को नर चीता उदय की हार्ट अटैक से मौत हो गई। उसे बाड़े में अचानक लड़खड़ाकर गिरते हुए देखा गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में संक्रमण भी पाया गया।
फिर, 9 मई को बाड़े में रह रही मादा चीता दक्षा को बुरी तरह घायल अवस्था में पाया गया, जिसने बाग में दम तोड़ दिया। बताया गया कि उसे दो चीतों के साथ बाड़े में छोड़ा गया था, जिसका मकसद कुनबे में बढ़ोत्तरी थी। मगर बाड़े में हुई चीतों की लड़ाई में मादा चीता दक्षा की जान चली गई।
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बता दें कि 17 सितंबर 2022 को पीएम मोदी ने काफी शोर-शराबे के साथ देश में दक्षिण अफ्रीकी देशों चीतों को लाकर बसाने के प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। प्रोजेक्ट के तहत नामीबिया से 8 और साउथ अफ्रीका से 12 चीते लाए गए थे। इनमें से अब तक तीन चीतों की मौत हो चुकी है, वहीं चार शावकों में से एक की मौत हो गई है। अब सिर्फ 17 चीते ही बचे हैं। इन शेष चीतों में से 6 जंगल में हैं और बाकी बाड़े में रखे गए हैं।
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