देश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू होने के बाद राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को लेकर संशय बना हुआ है। लोग इसके संभावित खतरे को देखते हुए लगातार विरोध कर रहे हैं। गृह मंत्री अमित शाह के इस संबंध में दिए बयानों से लोगों में भय का माहौल है। अब यह भय स्थानीय तौर पर विद्रोह का रूप लेता जा रहा है, जिसका खामियाजा हाल में दो महिलाओं को भुगतना पड़ा, जिसमें लोगों ने एनआरसी के लिए डाटा लेने के शक में उनपर जानलेवा हमला कर दिया, जिसमें किसी तरह उनकी जान बची।
पहली घटना पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के मल्हारपुर थाना क्षेत्र के गौरबाजार गांव की है, जहां एनआरसी के लिए लोगों की जानाकारी एकत्र करने के शक में भीड़ ने बुधवार को एक 20 वर्षीय महिला के घर पर हमला कर उसे आग के हवाले कर दिया। लोगों का आरोप है कि पीड़ित महिला प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी एनआरसी के लिए डेटा एकत्र कर रही थी। हालांकि महिला के साथ पुलिस ने भी इससे इनकार किया है। फिलहाल महिला अपने परिवार के साथ थाने में शरण लिए हुए है।
मिली जानकारी के अनुसार पश्चिम बंगाल में गूगल इंडिया और टाटा ट्रस्ट के इंटरनेट साथी प्रोजेक्ट के लिए काम करने वाली चुमकी खातून के खिलाफ कुछ लोगों ने कथित रूप से अफवाह फैला दी की वह प्रस्तावित एनआरसी के लिए डेटा एकत्र कर रही है। इस अफवाह पर भीड़ ने उसके घर को आग लगा दी। इस घटना के बाद पीड़ित महिला और उसके परिवार को पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई गई है।
वहीं दूसरी घटना राजस्थान के कोटा की, जहां बृजधाम क्षेत्र में राष्ट्रीय अर्थशास्त्र जनगणना 2019-2020 के लिए डाटा इकट्ठा कर रही आर्थिक जनगणना विभाग की कर्मी पर भीड़ ने हमला कर दिया। बानो ने बताया कि स्थानीय निवासियों ने शुरू में आवश्यक डाटा दे दिया, लेकिन बाद में चार-पांच परिवारों ने उन्हें बुलाकर कहा कि वह सारा डेटा डिलीट कर दें। बानो ने बताया कि ये डेटा आर्थिक जनगणना के लिए है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन लोग नहीं माने और बदतमीजी करनी शुरू कर दी।
गांववालों को लगा कि वह एनआरसी के लिए डाटा इकट्ठा कर रही हैं। लोगों ने उनपर डेटा डिलीट करने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया। कुछ लोगों ने बानो से फोन छीनकर जनगणना के लिए बने ऐप्प से कई डेटा भी डिलीट कर दिए। बाद में सूचना प पहुंची पुलिस ने उन्हें वहां से सुरक्षित निकालाष इस मामले में पुलिस ने एक शख्स को गिरफ्तार किया है
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