विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के चलते हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी गठबंधन में दरार पड़ती नजर आ रही है। हो सकता है जल्द ही जेजेपी सरकार से समर्थन वापस ले ले। हालांकि डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला सरकार के साथ हैं लेकिन उनकी पार्टी के विधायकों ने रुख साफ करते हुए कहा है कि किसानों पर हो रही ज्यादती में वे आंखें मूंदकर नहीं बैठ सकते।
ध्यान रहे कि 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाई थी, जिसके बाद 90 सदस्यीय विधानसभा में दुष्यंत चौटाला ने अपने 10 विधायकों के साथ बीजेपी को समर्थन देकर सरकार बनवाई थी। दुष्यंत चौटाला को डिप्टी सीएम का पद मिला है। इसके अलावा हाल के स्थानीय चुनावों में भी बीजेपी और दुष्यंत की जेजेपी ने मिलकर चुनाव लड़ा था।
लेकिन किसानों के मुद्दे पर जेजेपी के विधायक बेहद नाराज हैं। जेजेपी के कई विधायकों ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि उनके वोटरों में बड़ी तादाद किसानों की है ऐसे में हाल ही में विधायकों ने पूरे हरियाणा में किसान आंदोलन के मुद्दे पर किसानों और मजदूरों से बात की है। विधायकों का कहना है कि वे कृषि कानूनों से खुश नहीं है और हरियाणा सरकार से समर्थन वापसी की संभावना पर विचार कर रहे हैं और जल्द ही इस बारे में फैसला कर लेंगे। उनका कहना है कि केंद्र सरकार किसानों को परेशान कर रह है।
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तोहाना से जेजेपी विधायक देवेंद्र बबली का कहना है कि, “कोई ऐसी नौबत ना आए कि सरकार इतना ज्यादा खींचे,,,लेकिन इसमें हम तो प्राथमिकता किसान की बात को पहले से भी दे रहे हैं और आगे भी देंगे। किसानों ने हमारे हरियाणा प्रदेश के वोटर ने वहां भेजा है हमें। द हम सहयोगी के रूप में काम कर रहे हैं, कल को यही थोड़ा न है कि अगर किसी का शोषण होता है तो आंख मूंद के देखते रहेंगे इसको....”
बबली ने बताया कि उनकी दुष्यंत चौटाला से 8 दिसंबर को बात हुई थी एयरपोर्ट पर और किसानों के मुद्दे पर करीब डेढ़ घंटे तक चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि, “हमारा सबसे बड़ा वोट बैंक किसान हैं, और इसका दबाव हर विधायक पर है....सरकार से समर्थन वापसी का दबाव दुष्यंत जी पर भी है..हमने गतिरोध पर बात की कि इसका जल्द से जल्द हल निकलना चाहिए...”
देवेंदर बबली ने कहा कि, “भगवान न करे कि किसानों को लगने लगे कि उनकी अनदेखी हो रही है, तो हम भी उनके साथ सड़कों पर बैठेंगे....अगर केंद्र सरकार किसानों को मनाने में नाकाम रहती है तो हम तो किसानों की साइड में होंगे..”
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जेजेपी के दूसरे विधायक बरवाला से जोगीराम सिहाग का कहना है कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि सरकास स समर्थन वापसी पर चर्चा हुई है। लेकिन उन्होंने कहा कि, “किसानों के मुद्दे पर पार्टी का रुख नहीं बता सकता है, लेकिन मेरा मानना है कि इन कानूनों से न सिर्फ किसान बल्कि देश के आम आदमी को भी नुकसान होगा...इसलिए जब तक इन कानूनों को या तो वापस नहीं लिया जाता या इनमें संशोधन नहीं होता, किसानों का अस्तित्व खतरे में रहेगा..”
गौरतलब है कि अक्टूबर में सिहाग ने किसानों का समर्थन करते हुए हरियाणा हाऊसिंग बोर्ड के चेयरमैन के पद को ठुकरा दिया था।
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इसके अलावा हाथिन से जेजेपी विधायक हर्ष कुमार का कहना है कि किसान आंदोलन से जेजेपी पर दबाव बन रहा है। पार्टी अपने स्तर पर बात कर रही है। उन्होंने कहा कि आखिर कब तक किसान इस तरह परेशानी झेलते रहेंगे, सरकार को इसका हल निकालना होगा। उन्होंने कहा, “किसानों की जो भी मांगें हैं वह मानी जानी चाहिए..अगर तुम मेरा भला चाहते हो तो जो मैं कह रहा हूं करो, उसका असर क्या होगा मैं ही भुगतूंगा...बंद के कारण पार्टी (जेजेपी) की बैठक नहीं हो पा रही है, लेकिन चर्चा जारी है..हम एक छोटी पार्टी हैं और बीजेपी के साथ गठबंधन में बंधे हैं..”
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वहीं जुलाना के जेजेपी विधायक अमरजीत धांढा कहते हैं, “हमारी पार्टी तो किसानों की पार्टी है, हमारे अन्नदाता की पार्टी है। हमने दुष्यंत जी से बात की है और हम हमेशा किसानों के साथ खड़े हैं...” इसके अलावा नारनौद से विधायक राम कुमार गौतम ने कहा कि, “बस इसीलिए लोग सोचते हैं कि मेरी मेंबरी न चली जाए, और मेंबरी जो तो किसी बात पे जाए, ऐसी स्टेज अभी आई नहीं है, ऐसी स्टेज कभी आई तो कोई बात नहीं, भाई मेंबरी भी चली जाए तो भी कोई बात नहीं..” दरअसर राम कुमार गौतम दलबदल कानून का हवाला दे रहे थे, लेकिन उन्होंने किसानों के प्रति अपनी हमदर्दी साफ कर दी।
गौतम ने कहा कि, “भले ही केंद्र सरकार कह रह है कि यह कानून किसानों के भले के लिए हैं, लेकिन अगर वे इसे स्वीकार नहीं करते तो फिर लागू करने की हड़बड़ी क्यों है...वैसे भी यहां सरकारें सुप्रीम कोर्ट के फैसले स्वीकार नहीं करतीं अगर वे उनकी मनमाफिक नहीं होते..”
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