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अदालत ने सोनम वांगचुक, अन्य को प्रदर्शन की अनुमति से संबंधी याचिका पर कार्यवाही बंद की

दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वांगचुक ने अपना अनशन भी खत्म कर दिया है और इसलिए याचिका अब सुनवाई योग्य नहीं है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

दिल्ली उच्च न्यायालय ने पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक एवं अन्य को यहां जंतर मंतर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अनुमति से संबंधित एक याचिका पर कार्यवाही मंगलवार को बंद कर दी।

याचिकाकर्ता ‘एपेक्स बॉडी लेह’ के वकील ने कहा कि वे याचिका पर जोर नहीं देना चाहते थे क्योंकि अधिकारियों के साथ चर्चा के बाद प्रदर्शन वापस ले लिया गया है।

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दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वांगचुक ने अपना अनशन भी खत्म कर दिया है और इसलिए याचिका अब सुनवाई योग्य नहीं है।

गृह मंत्रालय से आश्वासन मिलने के बाद छह अक्टूबर से दिल्ली के लद्दाख भवन में अनशन कर रहे वांगचुक ने सोमवार शाम को अपना आंदोलन खत्म कर दिया। गृह मंत्रालय ने वांगचुक को आश्वासन दिया था कि लद्दाख की मांग पर वार्ता दिसंबर में फिर शुरू हो जाएगी।

पक्षकारों के बयानों के मद्देनजर न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने कहा, ‘‘याचिका वापस ली गई मानकर खारिज की जाती है।’’

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वांगचुक और लद्दाख से उनके सहयोगियों ने लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी तक मार्च किया था। उन्हें दिल्ली पुलिस ने राजधानी के सिंघू बॉर्डर पर हिरासत में ले लिया और दो अक्टूबर की रात को रिहा कर दिया था।

इस मार्च का आयोजन करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के साथ मिलकर ‘एपेक्स बॉडी लेह’ ने किया था, जो लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा, इसे छठी अनुसूची में शामिल करने, लद्दाख के लिए लोक सेवा आयोग के गठन और लेह एवं करगिल जिलों के लिए अलग लोकसभा सीट की मांग को लेकर पिछले चार साल से आंदोलन कर रहा है।

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संविधान की छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा एवं मिजोरम के जनजातीय क्षेत्रों में ‘‘स्वायत्त जिलों और स्वायत्त क्षेत्रों’’ के प्रशासन से संबंधित है।

जम्मू कश्मीर और लद्दाख के संयुक्त सचिव प्रशांत लोखंडे ने 21 अक्टूबर को कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और गृह मंत्रालय की ओर से उन्हें एक पत्र सौंपा।

पत्र में लिखा है कि लद्दाख से प्रतिनिधियों के साथ वार्ता कर रही मंत्रालय की उच्च स्तरीय समिति उनसे अब तीन दिसंबर को मुलाकात करेगी।

इसके बाद वांगचुक एवं उनके समर्थकों ने अपना अनशन खत्म करने और प्रदर्शन वापस लेने का फैसला किया।

उच्च न्यायालय ने नौ अक्टूबर को दिल्ली पुलिस से जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की अनुमति के अनुरोध वाली याचिका पर जवाब मांगा था।

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