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मोदी सरकार में कपास किसानों की टूटी आस, एमएसपी से नीचे कपास बेचने को मजूबर

हरियाणा के हिसार के किसान राजेश पुनिया ने बताया कि उन्हें एमएसपी से नीचे दाम पर अपनी फसल बेचनी पड़ रही है, क्योंकि सरकारी खरीद अभी शुरू नहीं हो पाई है। इस साल बाजार का जैसा रुख देखने को मिल रहा है उससे लगता है नहीं है कि एमएसपी भी मिल पाएगा।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

फसल का अच्छा दाम मिलने की उम्मीद संजोए किसानों ने इस साल कपास की खेती में काफी दिलचस्पी दिखाई, लेकिन अब उनको न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी कम भाव पर फसल बेचनी पड़ रही है। फसल की बुवाई शुरू होने से पहले देश में कपास का भाव 6,200 रुपये प्रति क्विंटल तक चला गया था। वहीं सरकार ने कपास के एमएसपी में भी बढ़ोतरी की जिससे किसान उत्साहित हुए, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कॉटन का भाव गिरने से व्यापारी इस साल ऊंचे भाव पर खरीदारी करने से बच रहे हैं।

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उत्तर भारत की मंडियों में नरमा यानी कपास (रॉ कॉटन) की नई फसल की आवक शुरू हो गई है और किसानों को सरकारी खरीद शुरू होने का इंतजार है। मंडियों में इस समय कपास की नई फसल 5,100-5,200 रुपये प्रति कुंटल चल रहा है, जबकि सरकार ने लंबे रेशे वाले कपास का एमएसपी 5,550 रुपये और मध्यम रेशे के कपास का 5,255 रुपये प्रति कुंटल तय किया है।

हरियाणा के हिसार के किसान राजेश पुनिया ने बताया कि उन्हें एमएसपी से नीचे दाम पर अपनी फसल बेचनी पड़ रही है, क्योंकि सरकारी खरीद अभी शुरू नहीं हो पाई है। उन्होंने कहा कि ऊंचा भाव मिलने की आस से कपास की खेती की थी, मगर इस साल बाजार का जैसा रुख देखने को मिल रहा है उससे लगता है नहीं है कि एमएसपी भी मिल पाएगा।

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हालांकि भारतीय कपास निगम लिमिटेड (सीसीआई) ने एक अक्टूबर से ही नए सीजन का कपास खरीदने की घोषणा की है और सीसीआई के एक अधिकारी ने बताया कि कपास की खरीद की पूरी तैयारी भी कर ली गई है, लेकिन मंडियों से मिली जानकारी के अनुसार, मंगलवार को उत्तर भारत की मंडियों में कहीं कपास की सरकारी खरीद नहीं हुई।

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सीसीआई के अधिकारी ने कहा कि इस समय मंडियों में जो कपास आ रहा है उसमें नमी अधिक है, इसलिए खरीद शुरू होने में विलंब हो सकता है। उन्होंने कहा कि सीसीआई 12 फीसदी से अधिक नमी वाली फसल नहीं खरीदेगी। इस साल मार्च में मंडियों में नरमे का भाव 6,200 रुपये प्रति कुंटल तक चला गया था जिससे उत्साहित किसानों ने इस बार इसकी खेती में काफी दिलचस्पी दिखाई और देशभर में कपास का रकबा पिछले साल के मुकाबले पांच फीसदी से ज्यादा बढ़ गया।

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केंद्रीय कृषि मंत्रालय के हालिया आंकड़ों के अनुसार, इस साल कपास का रकबा 127.67 लाख हेक्टेयर है जोकि पिछले साल से 6.62 लाख हेक्टेयर अधिक है। अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कॉटन के दाम में पिछले साल के मुकाबले 20 फीसदी की गिरावट आई है। हालांकि भारत में पिछले साल के मुकाबले कॉटन का भाव तकरीबन 10 फीसदी गिरा है।

इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज (आईसीआई) पर बुधवार को दिसंबर डिलीवरी कॉटन के अनुबंध में 60.59 सेंट प्रति पौंड पर कारोबार चल रहा था। पिछले साल सितंबर के आखिर में आईसीआई पर कॉटन का भाव 76.38 सेंट प्रति पौंड।

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वहीं, घरेलू वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर कॉटन का अक्टूबर अनुबंध मंगलवार को 290 रुपये यानी 1.46 फीसदी की गिरावट के साथ 19,580 रुपये प्रति गांठ (170 किलो) था, जबकि पिछले साल सितंबर के आखिर में एमसीएक्स पर कॉटन का भाव 21,840 रुपये प्रति गांठ था।

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