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जामिया विश्वविद्यालय में कोरोना का कहर, 38 वर्षीय प्रोफेसर और उनकी मां की मौत, घर में रह गए अकेले बुजुर्ग पिता

जामिया विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ नबीला सादिक और उनकी मां नुजहत की कोरोना से मौत हो गई। मौत से चंद दिन पहले प्रोफेसर नबीला ने सोशल मीडिया के जरिए अपने लिए ऑक्सीजन बेड की मदद मांगी थी।

फोटो: IANS
फोटो: IANS 

जामिया विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ नबीला सादिक और उनकी मां नुजहत की कोरोना से मौत हो गई। मौत से चंद दिन पहले प्रोफेसर नबीला ने सोशल मीडिया के जरिए अपने लिए ऑक्सीजन बेड की मदद मांगी थी। उनके 86 वर्षीय मोहम्मद सादिक पिता भी इस दौरान कोरोना पॉजिटिव हुए और अब वह स्वस्थ हो चुके हैं। परिवार में अकेले रह गए डॉ सादिक भी जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर हैं। 76 वर्षीय डॉ सादिक इस प्रकार अचानक 10 दिन में ही बेटी और पत्नी की मौत से पूरी तरह टूट गए हैं। 7 मई को उनकी पत्नी नुसरत की मौत हुई और 17 मई को उनकी बेटी की मृत्यु हो गई। दोनों की ही मौत कोरोना के कारण हुई है।

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बीमार होने पर प्रोफेसर नबीला ने मदद के लिए ट्वीट किया था। उनके कई परिचितों ने इसका जवाब भी दिया। पहले छात्रों की मदद से उनके लिए जामिया स्थित अलशिफा अस्पताल में बेड का इंतजाम किया। हालांकि प्रोफेसर नबीला की गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें फरीदाबाद स्थित आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा। जहां उनकी मृत्यु हो गई। इससे पहले कोरोना संक्रमण के चलते इनकी मां नुजहत (76) का भी निधन हो गया था।

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जामिया टीचर्स एसोसिएशन (जेटीए) के सचिव डॉ एम इरफान कुरैशी ने बताया कि जामिया के कई शिक्षक और कर्मचारी अच्छे अस्पतालों की चाह में यहां-वहां भटकते रहे। सही उपचार के आभाव में कई लोगों ने कोविड 19 में अपनी जान गंवा दी। कई गैर शिक्षण स्टाफ सदस्यों की भी कोरोना से मौत हुई है।

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जामिया टीचर्स एसोसिएशन के मुताबिक प्रोफेसर नबीला के अलावा अभी तक चार और प्रोफेसर की कोरोना से मौत हो चुकी है। इनमें डॉ सावित्री (राजनीति विज्ञान), प्रोफेसर शफीक अंसारी (नैनोटेक्नोलॉजिस्ट एवं निदेशक आईक्यूएसी), प्रोफेसर, रिजवान कैसर (इतिहासकार एवं पूर्व जेटीए सचिव), और डॉ अभय कुमार शांडिल्य (संस्कृत विभाग) शामिल हैं।

पत्नी और बेटी की मौत के बाद बुजुर्ग प्रोफेसर डॉ सादिक बिल्कुल अकेले और निसहाय हो गए हैं। प्रोफेसर सादिक ने कहा कि पत्नी की मौत के बाद लगा था कि मैं उसकी याद के सहारे ही जी लूंगा। अब बेटी की मौत के बाद तो मुझे लगता है कि मैं अब और जी सकूंगा भी या नहीं।

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जामिया के प्रोफेसर डॉ इरफान इरफान बताते हैं की बड़ी मुश्किल से नबीला को एक ऑक्सीजन आईसीयू बेड फरीदाबाद में उपलब्ध हो पाया। हालांकि तब तक बहुत देर हो चुकी थी और प्रोफेसर नबीला को नहीं बचाया जा सका।

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