उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस का कहर थमने का नहीं ले रहा है। राजधानी लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज से लेकर पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी तक हर जगह खौफ का मंजर है। अस्पतालों में न बेड है, न ऑक्सीजन और न ही दवा। लोग बेड और ऑक्सीजन के लिए एम्बुलेंस से अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं। कई लोगों की मौत एम्बुलेंस में ही हो जा रही है। ऐसी ही एक घटना लखनऊ की है। आजतक की खबर के मुताबिक गुरुवार को लखनऊ में बेड न मिलने के कारण एक और कोरोना मरीज की मौत हो गई। उसके परिजन अस्पताल के बाहर रोते-बिलखते रहे। पूरी घटना का वीडियो वायरल हो रहा है।
Published: 23 Apr 2021, 1:17 PM IST
आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक लखनऊ के 61 वर्षीय निर्मल की तबीयत काफी खराब हो गई थी। कोविड कमांड सेंटर ने निर्मल को करियर मेडिकल कॉलेज ले जाने के लिए कहा, लेकिन वहां अस्पताल ने उन्हें एडमिट नहीं किया। अस्पताल सीएमओ का रेफरल लेटर मांगता रहा और परिजन मरीज को एडमिट करने की भीख। घंटों इंतजार के बाद मरीज की मौत हो गई। रेफरल लेटर के चक्कर में अब तक कई मरीज अपनी जाव गंवा चुके हैं। हालांकि अब कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों की अस्पतालों में भर्ती के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) के रेफरल लेटर की बाध्यता को खत्म कर दिया गया है। बता दें कि रेफरल लेटर की बाध्यता मरीजों के जीवन पर भारी पड़ रही थी।
Published: 23 Apr 2021, 1:17 PM IST
गुरुवार को ही लखनऊ में इलाज के अभाल में एक और कोरोना संक्रमित की मौत हो गई। लखनऊ के डालीगंज स्थित कब्रिस्तान में काम करने वाले बाबू की कोरोना के कारण मौत हो गई। लोगों का कहना है कि समय अगर बाबू को इलाज मिल जाता तो उसकी जान बच सकती थी। बाबू कोरोना काल में भी हर दिन क्रब खोदने का काम कर रहा था। कब्रिस्तान के संचालक उस्मान का कहना है कि जो शव अस्पताल से आते हैं, वह सील होते हैं, लेकिन घर से आने वाले शवों की जांच नहीं होती है, ऐसे में बाबू किसी शव से संक्रमित हुआ होगा। उस्मान का आरोप है कि बाबू को सही समय पर इलाज नहीं मिल पाया, इस वजह से उसकी मौत हो गई।
Published: 23 Apr 2021, 1:17 PM IST
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Published: 23 Apr 2021, 1:17 PM IST