योगी आदित्यनाथ सरकार ने लॉकडॉउन में तीन महीने का मुफ्त राशन देने की लोकलुभावन घोषणा तो कर दी लेकिन दावों के उलट राशन तो मिला नहीं और सोशल डिस्टेन्सिंग की ऐसी-तैसी हो गई। फ्री राशन को लेकर अप्रैल के पहले हफ्ते में भी अफसर से लेकर प्रधान और पार्षद तक भ्रम की स्थिति में हैं। पुलिस की लाठियां खाकर कोटेदारों तक पहुंचने वाले अधिकतर गरीबों को निराश होकर लौटना पड़ रहा है।
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योगी सरकार ने कहा था कि प्रदेश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली की 72 हजार से अधिक दुकानों से 1.65 करोड़ शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के मजदूरों को मुफ्त राशन दिया जाएगा। इसके साथ ही प्रदेश के 41 लाख अतंयोदय कार्ड धारक फ्री में और तीन करोड़ से अधिक पात्र गृहस्थी के लाभार्थियों को परिवार के सदस्यों के आधार पर गेहूं और चावल का वितरण किया जाएगा।
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अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने दो अप्रैल को मीडिया के सामने दावा किया कि पहली अप्रैल को ही दो करोड़ से अधिक लोगों को फ्री में राशन मिला। इन दावों की कलई राजधानी में कोटेदारों के खिलाफ हुई कारवाई से ही खुलती है। लखनऊ के मोहनलालगज में छितौनी के कोटेदार सतीश का लाइसेंस कालाबाजारी के आरोप में निलंबित हुआ। इसी तरह राशन नहीं बाटने पर पृथ्वीपुर में कोटेदार शांति देवी का लाइसेंस निलंबित हुआ तो वहीं रेवा मऊ की कोटेदार पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगा।
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दरअसल, पूरे प्रदेश में सरकारी दावे के उलट लोगों को सर्वर के झटके के साथ बदइतंजामी से दो-चार होना पड़ा। राजधानी लखनऊ के ही मोहनलालगंज समेत 50 से अधिक दुकानों पर सर्वर डाउन होने से दिक्कत आई। वहीं, किला पासी क्षेत्र में चिरौंजी देवी और सीताराम ने कोटेदार पर कम राशन देने का आरोप लगाया। इसी तरह वाराणसी के सारनाथ क्षेत्र के लोगों ने कोटे की दुकान नहीं खुलने पर हंगामा किया। कार्डधारक रेशमा ने बताया कि अधिकारियों के हस्तक्षेप पर दुकान तो खुली लेकिन प्रति यूनिट तय राशन से कम दिया गया है। सीरगोवर्धनपुर में सर्वर नहीं चलने से नाराज लोगों ने सर्वर ही तोड़ डाला।
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वहीं बरेली के आजमपुर और गंगानगर में नगर निगम द्वारा चूने से गोले बनाए गए थे लेकिन यहां सोशल डिस्टेन्सिंग की धज्जियां उड़ी। आजमगढ़ के खेतासराय के कोटेदार मनीष बरनवाल का दर्द है कि अधिकारियों ने ई-पाश मशीन पर अगूंठा लगाने के बाद ही राशन देने का निर्देश दिया है। इंटरनेट की उपलब्धता नहीं होने से दिक्कत हो रही है। राशन वितरण में गड़बड़ी का अंदाजा कोटेदारों पर दर्ज मुकदमे से हो जाता है। प्रदेश में अभी तक 251 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। वहीं प्रदेश भर में 114 दुकानें निलंबित हुई है। गरीबों का राशन हजम करने के मामले पूर्वांचल से अधिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में है। गोरखपुर में 11 मामले दर्ज हुए हैं तो वहीं 8 दुकानें निलंबित हुई हैं। गोरखपुर के भटहट ब्लाक के चिलबिलवा का प्रधान प्रतिनिधि रामनरेश राजभर कोटेदार भी है। वह बताते हैं कि कई लोगों को भ्रम हो गया है कि अनाज फ्री में मिलेगा। गोरखपुर के बिछिया कैंप के कोटेदार रिजवान की दुकान के बाहर रोज लंबी कतार लग रही है।
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पहली अप्रैल को सर्वर डाउन होने से सिर्फ दो लाभार्थियों को ही राशन मिल सका। पेट की भूख देखें या सोशल डिस्टेंसिंग अफसरों का दावा था कि कोटेदार की दुकान पर सोशल डिस्टसिं ग का पालन होगा और सैनिटाइजर की भी व्यवस्था होगी। हकीकत में भीड़तंत्र कोई सोशल डिस्टेन्सिंग मानने को तैयार नहीं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास गोरखनाथ मदिर के चंद किलोमीटर दूर- जनप्रिय विहार, के कोटेदार की दुकान पर फ्री में राशन की सूचना पर जुटी भीड़ को काबू में करने को पुलिस बुलानी पड़ी। सरदारनगर के गौनर विशुनपुरा के कोटेदार ने कोरोना संक्रमण से बचने के लिए लोहे के चैनल से पाइप के जरिये राशन देने की व्यवस्था की लेकिन फ्री की उम्मीद में लोग सोशल डिस्टेन्सिंग की ऐसी-तैसी कर दे रहे हैं।
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सरकार का दावा है कि प्रदेश के करीब डढ़ लाख रेहड़ी और श्रम विभाग में पजीकृंत प्रदेश भर के 19.90 लाख मजदूरों को भी फ्री में राशन मिलेगा। इसके उलट कोटेदारों द्वारा उन्हीं मजदूरों को राशन दिया जा रहा है, जिन्होंने नवीनीकरण कराया है। प्रदेश में बमुश्किल 7.81 लाख मजदूर ही फ्री में राशन पाने के हकदार हैं। प्रदेश के 27 लाख मनरेगा मजदूरों को फ्री राशन की भी हवा निकल रही है। गोरखपुर के धुरियापार क्षेत्र के बेलाव गांव के कोटेदार हबीबुल्लाह यह कहते हुए जॉब कार्ड धारकों को वापस कर दे रहे हैं कि प्रधान ने सूची उपलब्ध नहीं कराई है।
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