कोरोना के खिलाफ युद्ध को मजबूती देने के लिए देशव्यापी लॉकाडाउन को 3 मई तक बढ़ा दिया गया है। लेकिन इस बार ऐसा फैसला करने के पीछे दोहरी रणनीति रही। एक तो यह कि 21 दिन के पहले लॉकडाउन से हासिल फायदे पर पानी न फिर जाए और दूसरा इस दौरान हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई कैसे की जाए। इस फैसले में यह पहलू भी शामिल रहा कि पहले लॉकडाउन के दौरान कुछेक पॉकेट्स के अलावा कोरोना के फैलाव पर अच्छी तरह ब्रेक नहीं लग पाया। यही कारण था कि प्रधानमंत्री ने इस लड़ाई को केंद्र और राज्य सरकारों से एक साथ मिलकर लड़ने का आह्वान किया।
ऐसे में सवाल है कि आखिर पटरी से उतरकर ठप हो चुकी अर्थव्यवस्था को उबारने का रोडमैप किया है। प्रधानमंत्री ने अगले सप्ताह को अग्निपरीक्षा वाला सप्ताह कहा है। लेकिन जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर डाल दी है कि इस दौरान कोरोना के केस न बढ़े तो कुछ आवश्यक गतिविधियां शुरु करने की छूट दी जा सकती है।
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पीएमओ में लॉकडाउन की रणनीति के विचार-विमर्श में शामिल एक सरकारी सूत्र का कहना है कि अगले सप्ताह को समीक्षा सप्ताह बनाने के पीछे यही रणनीति है कि किसी तरह अर्थव्यवस्था का पहिया घुमाने की शुरुआत की जा सके। इस सूत्र का कहना है कि कोरोना वायरस को शहरों से लेकर गांवों तक रोकना है। ऐसे समय में जब कोरोना ने चीन में दोबारा दस्तक दे दी है, तो भारत पहले लॉकडाउन से हासिल फायदे को गंवाना नहीं चाहता।
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इस सूत्र का कहना है कि इस कवायद में 20 अप्रैल एक अहम दिन होगा। इस अवधि में केंद्र और राज्य सरकारों को स्वास्थ्य सेवाओं का मूलभूत ढांचा बेहतर करना होगा ताकि अर्थव्यवस्था की गाड़ी चलाने के लिए रास्ता बन सके।
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हिंदुस्तान टाइम्स की एक खबर के मुताबिक, “पर्यावरण सचिव सी के मिश्रा की अगुवाई में एक टेस्टिंग कमेटी बनाई गई है। इसमें पीएमओ से एडीशनल सेक्रेटरी स्तर के दो अधिकारियों भारत लाल और देबाश्री मुखर्जी को शामिल किया गया है ताकि टेस्टिंग का काम एक नए स्तर से शुरु कराया जा सके। इसके अलावा आरोग्य मोबाइल एप को सरकार और नागरिकों के बीच सेतु बनाने का काम किया जा रहा है।”
गौरतलब है कि तेजी से टेस्ट करने वाली किटस बुधवार यानी 15 अप्रैल तक आने की संभावना है और सरकार ने इसी को ध्यान में रखते हुए रणनीति बनाई है। इन किट्स का इस्तेमाल कंटेनमेंट जोन के साथ ही उन इलाकों में किया जाएगा जहां अभी तक एक भी केस सामने नहीं आया है। इस किट की खासियत यह है कि इसमें खून की एक बूंद से शरीर में रक्षात्मक एंटीबॉडी का पता लगता है और 30 मिनट में ही रिजल्य आ जाता है।
आईसीएमआर यानी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने ऐसे 5 लाख किट्स का ऑर्डर पहले ही दे दिया है, साथ ही 45 लाख किट्स को 1 मई तक हासिल करने का टेंडर भी जारी कर दिया है। चीन से आने वाले किट्स की पहली खेप यूं तो 5 अप्रैल तक आ जानी थी लेकिन कई कारणों से इनकी डिलिवरी में देरी हुई है।
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