कोरोना वायरस महामारी ने विश्व भर के करोड़ों लोगों की पूरी दिनचर्या को बिगाड़ कर रख दिया है। महीनों से जारी कोविड-19 संकट के चलते लोगों को अपने घरों में ही कैद होकर रहना पड़ा है, उनका वक्त इस वायरस से बचाव करने के बारे में ही सोचकर गुजर रहा है। जिसकी वजह से उन्हें तनाव, चिंता और घबराहट की परेशानी से दो-चार होना पड़ रहा है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ रहा है।
एक हालिया रिपोर्ट भी इसकी तस्दीक करती है कि कोविड-19 महामारी लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रही है। विशेष रूप से अश्वेत और एशियाई मूल के युवाओं पर इस संकट का व्यापक प्रभाव देखा गया है।
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अमेरिका में सेंटर फॉर लॉ एंड सोशल पॉलिसी में मानसिक स्वास्थ्य कार्य का नेतृत्व करने वाली ईशा वीरसिंघे ने कहा कि महामारी के दौरान कई समुदायों में मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दिए जाने की वजह से स्थिति बदतर हो गयी है। वह कहती हैं कि अलगाव, आर्थिक तंगी, पुलिस की बर्बरता और इसके प्रभावों, और हिंसा आदि के चलते लोगों में तनाव और चिंता व्याप्त हो गयी है।
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अगर बढ़ती चिंता और अलगाव को एक साथ जोड़कर देखा जाए तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति खराब हुई है। इस तरह की स्थिति में लोग आत्महत्या जैसे कदम उठाने के लिए भी बाध्य हो रहे हैं। बकौल वीरसिंघे कई समुदायों में स्वास्थ्य देखभाल की पहुंच की कमी मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की कमी तक बढ़ गई है।
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यहां बता दें कि कोविड-19 महामारी के प्रभाव के चलते दुनिया भर की अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर हो रहा है। जिसके कारण करोड़ों लोगों के ऊपर रोजगार छिनने का संकट पैदा हो गया है। इसका सीधा असर पारिवारिक तनाव और मानसिक परेशानी के तौर पर सामने आ रहा है। जानकार कहते हैं कि अगर यह संकट और लंबा खिंचा तो परिणाम बहुत घातक हो सकते हैं।
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