कोरोना वायरस महामारी और अप्रत्याशित मंहगाई के कारण भारतीय परिवारों के लिए अपने रोजमर्रा के खर्चों और अन्य मदों का प्रबंधन करना बेहद मुश्किल हो रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा केंद्रीय बजट पेश करने से पहले आईएएनएस-सीवोटर द्वारा किये गए एक राष्ट्रव्यापी ट्रैकर पोल से यह खुलासा हुआ है।
Published: undefined
वर्ष 2022 के सर्वेक्षण के अनुसार, 65.7 प्रतिशत लोगों ने कहा कि मौजूदा खर्चों का प्रबंधन करना मुश्किल हो गया है। वर्तमान सरकार के लिए कुछ राहत की बात है कि 2014 में संप्रग सरकार के अंतिम वर्ष में, 66.8 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा था कि उन्हें उस समय अपने खर्च का प्रबंधन करना मुश्किल लगता है। हालांकि उस समय देश कोविड जैसे संकट से नहीं गुजर रहा था। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोरोना संकट का बहाना बनाकर सरकार देश की आर्थिक समस्याओं से मुंह मोड़ ले और पिछले आंकड़े से अपनी तुलना कर अपनी पीठ थपथपाती रहे।
Published: undefined
वर्ष 2020 में, 70.9 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने खर्चों का प्रबंधन करना मुश्किल पाया। लेकिन इसके बाद लॉकडाउन हटा लिया गया और पहली लहर का असर कम हो गया था। इसके परिणामस्वरूप 58.9 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने खर्चों के प्रबंधन के बारे में अपनी चिंता जाहिर की। लेकिन फिर दूसरी ओर उससे भी ज्यादा विनाशकारी कोरोना लहर आई जिससे परिवारों के कमाने वाले मुखिया के चले जाने से एक बार फिर परिवारों की चिंता बढ़ गई।
Published: undefined
इस जबरदस्त आर्थिक संकट की पुष्टि तब हुई जब 57.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उनकी आय कम हो गई जबकि खर्च काफी ज्यादा बढ़ गया था। इसे देखते हुए लगता है कि बजट में नागरिकों की इन चिंताओं पर तत्काल ध्यान दिए जाने की जरूरत है।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined