केंद्र सरकार द्वारा घोषित वीर बाल दिवस कार्यक्रमों के तहत स्कूलों में बच्चों द्वारा नाटकों में अंतिम सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह के साहिबजादों की एक्टिंग कर उनका शारीरिक चित्रण करने की शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने शुक्रवार को आलोचना की है और इसे सिख सिद्धांतों और परंपराओं के खिलाफ बताते हुए स्पष्टीकरण की मांग की है। एसजीपीसी ने केंद्रीय शिक्षा, संस्कृति और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालयों के साथ-साथ केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा है।
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एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि ऐसे किसी भी सिख विरोधी कृत्य को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सिख सिद्धांतों, रीति-रिवाजों, परंपराओं और मूल्यों के खिलाफ कोई भी कार्य सिख मानसिकता को ठेस पहुंचाता है और विभिन्न राज्यों में शैक्षणिक संस्थानों में वीर बाल दिवस के संबंध में केंद्र सरकार के निर्देशों के तहत साहिबजादों की एक्टिंग करने पर सिख संगत की ओर से बड़ी आपत्तियां आ रही हैं।
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उन्होंने कहा कि सिख सिद्धांतों के खिलाफ इन कृत्यों पर संज्ञान लेते हुए एसजीपीसी ने केंद्रीय मंत्रालयों और सीबीएसई से अपना पक्ष रखने को कहा है। वीर बाल दिवस को लेकर धामी ने कहा कि अकाल तख्त साहिब के आदेशानुसार इस दिन का नाम बदलने के लिए पहले ही केंद्र सरकार से संपर्क किया जा चुका है, लेकिन उन्होंने आज तक इसे गंभीरता से नहीं लिया है।
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उन्होंने कहा कि इस संबंध में एसजीपीसी और सिख संगत की चिंता सच हो गई है, क्योंकि सिख परंपराओं के खिलाफ जाकर बच्चों को साहिबजादों की भूमिका निभाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस सिख विरोधी घटना की जिम्मेदारी सीधे तौर पर केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारों पर है।
एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि इस तरह की हरकतें सिख जगत कभी भी स्वीकार नहीं कर सकता और उन शिक्षण संस्थानों की पहचान कर उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी, जिन्होंने साहिबजादों के किरदारों को भौतिक रूप में निभाया है।
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