उत्तर प्रदेश के कासगंज में पुलिस हिरासत में टॉयलेट की 2 फीट ऊंची टंकी से साढ़े पांच फीट के 21 साल के युवक अल्ताफ की फांसी लगाकर आत्महत्या करने की बात पहले ही किसी के गले नही उतर रही थी। अब अल्ताफ के पिता का आत्महत्या को स्वीकार करने वाला पत्र सवालों के घेरे में आ गया है। अल्ताफ के पिता का कहना है कि वो बेटे की मौत के बाद बेहद तनाव में हैं और उनकी दिमागी हालात ठीक नहीं है। वो एक अनपढ़ आदमी हैं और उनसे एक कागज पर अंगूठा लगवा लिया गया था। वो चाहते हैं कि उनके बेटे को न्याय मिले। वो डर गए हैं।
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अल्ताफ के पिता चाहत चांद मियां ने यह बात आज कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल के सामने भी कही। आज कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल अल्ताफ़ के घर पहुंचा। इस डेलीगेशन में ओमवीर यादव, तौकीर उमर और जियाउर्रहमान शामिल थे। जियाउर्रहमान ने नवजीवन को बताया कि अल्ताफ की मौत के बाद परिवार अब तक बेहद सदमे में है और भयभीत भी है। पूरा परिवार गरीब और अनपढ़ है। अल्ताफ के पिता चांद मियां लिखना-पढ़ना नही जानते हैं। पुलिस ने मुआवज़ा की बात कहकर उन्हें समझा लिया था मगर उन्हें अभी तक कोई मुआवजा नहीं मिला है। अल्ताफ के पिता चांद मियां का कहना है कि जो कुछ भी कागज पर लिखा है वो पुलिस ने लिखवाया है, उससे तो सिर्फ अंगूठा लगवाया गया है।
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इस मामले में एक और भी सनसनीखेज खुलासा हुआ है। अल्ताफ पर जिस लड़की को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने का आरोप लग रहा था, वो लड़की बहुसंख्यक समुदाय से है। पहले कहा जा रहा था कि अल्ताफ उस लड़की के घर टाइल्स लगाने गया था। इसी आधार पर लड़की के घर से चले जाने के बाद उसके परिजनों को शक हुआ कि अल्ताफ के साथ उनकी लड़की चली गई है और उसकी जानकारी पुलिस को दी गई।
इंस्पेक्टर कासगंज अजय सिरोही द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक कोतवाली में अल्ताफ और एक अज्ञात के विरुद्ध 363, 366 का मुक़दमा दर्ज कराया गया था। इस संबंध में अल्ताफ की बुआ ने बताया कि अल्ताफ का लड़की से कोई लेना-देना नही था। वो तो यहीं घर पर ही था और यहां से कहीं नही गया। यह आरोप ही झूठा है और उसकी जान लेने का कारण बन गया। लड़की को पुलिस अब तक तलाश नही पाई है। एक और सनसनीखेज बात यह है कि परिजनों में एक ऐजाद हकीम ने आरोप लगाया है कि उन्हें लगता है कि अल्ताफ की गंभीर रूप से पिटाई दुर्भावना के तहत की गई।
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समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता और कासगंज के ही निवासी अब्दुल हफीज गांधी भी परिवार से मिलकर आए हैं। उन्होंने बताया कि पुलिस की कहानी में झोल ही झोल है। एक और जहां अल्ताफ की आत्महत्या की बात तार्किक नही है, वहीं उसके पिता की पुलिस को दी गई क्लीन चिट भी कई सवाल खड़े करती है। जैसे अल्ताफ का पिता बिल्कुल अनपढ़ है और सहमति पत्र की पूरी भाषा किसी विशेषज्ञ की प्रतीत होती है, जैसे इसे किसी पुलिस अधिकारी अथवा वकील ने लिखवाया हो! इसके बाद अंगूठा लगवा लिया गया। पुलिस ने मामले को दबाने का प्रयास किया है। इसके अलावा अब तक चांद मियां को मिले मुआवजे पर तस्वीर साफ नही है। अमूमन मुआवजा चेक से मिलता है और वो नही मिला है। यह मामला बेहद गंभीर है> इसमे कमज़ोर और गरीब को न्याय मिलने की आशा को कुचल दिया गया है।
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कासगंज की पूर्व विधायक जीनत खान ने भी पुलिस की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा है कि वो परिवार से मिलकर लौटी हैं और साफ जाहिर है कि पुलिस का परिवार पर गहरा दबाव है और वो डरे हुए हैं। वो सदमे में दिखाई देते हैं , परिवार की महिलाओं में बेहद रंज का माहौल है और उन्होंने न्याय की उम्मीद खो दी है। मगर हम उनके साथ खड़े है। चांद मियां के घर पर अब तमाम विपक्षी दल के नेताओं की आवाजाही लगी हुई है।
मृतक अल्ताफ़ के मामा ऐजाद हकीम ने नवजीवन से बताया कि वो पुलिस की कार्रवाई से पूरी तरह आहत हैं। अल्ताफ़ के साथ मारपीट की गई। उनकी बहन और अल्ताफ़ की मां ने उन्हें यह बताया है। अल्ताफ की फुफी मोमिना ने उसके सिर में चोट बताई। पुलिस ने अल्ताफ को किसी से मिलने नही दिया। मेरे बहनोई को सांप्रदायिक सौहार्द का हवाला देकर चुप करा दिया गया। लड़की का भाई घर आकर लगातार धमकी दे रहा था। पूरा परिवार सदमे में है। हमारी पुलिस से न्याय की उम्मीद टूट चुकी है। हम इस पूरे मामले की सीबीआई जांच चाहते हैं।
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