लखनऊ के नेहरू भवन का माहौल एकदम बदला हुआ है। नेहरू भवन उत्तर प्रदेश कांग्रेस का मुख्यालय है। यहां मौजूद कांग्रेस कार्यकर्ता और स्थानीयी नेताओं में जबरदस्त जोश नजर आ रहा है। भले ही टीवी चैनल कुछ भी बोलते-दिखाते रहें, लेकिन यहां के माहौल में उत्साह और उम्मीद है। कार्यकर्ताओं का मानना है कि उत्तर प्रदेश में जल्द ही कांग्रेस के अच्छे दिन आ वाले हैं। ऐसा होगा या नहीं, समय बताएगी, लेकिन भरोसा और उत्साह भरपूर है।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि, “मेरी बात गांठ बांध लो, कांग्रेस वापसी कर रही है। 2004 और 2009 में कांग्रेस ने जो प्रदर्शन किया था, 2019 में उससे भी बेहतर प्रदर्शन करेगी कांग्रेस।” उनका कहना है कि यूपी के लोग बीजेपी से तंग आ चुके हैं और कांग्रेस ही बीजेपी को चुनौती दे सकती है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और स्थानीय नेता अखिलेश प्रताप सिंह कहते हैं कि, “राष्ट्रीय स्तर पर सरकार बनाने के लिए एसपी-बीएसपी को कांग्रेस की मदद चाहिए ही होगी। उत्तर प्रदेश के लोगों को यह अच्छी तरह पता है और हमें विश्वास है कि वे लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय पार्टी को ही वोट देंगे।”
उनका मानना है कि प्रचार किस तरह का होगा, उससे भी काफी फर्क पड़ता है। अखिलेश प्रताप सिंह मानते हैं कि, “हमें आक्रामक प्रचार करना होगा और लोगों का विश्वास हासिल करने के लिए जी-जान से जुटना होगा।” लेकिन कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता दोनों को ही लगता है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में वे लोगों का विश्वास जीतने में कामयाब होंगे।
एसपी-बीएसपी गठबंधन से बाहर रहने पर कांग्रेस कार्यकर्ता चिंतित नहीं, बल्कि निश्चिंत नजर आते हैं। ध्यान रहे कि उत्तर प्रदेश में कुछ कार्यकर्ता और नेता सदा गठबंधन के विरोध में रहे हैं। उनका मानना है कि गठबंधन से पार्टी को फायदा नहीं होता है।
जवाहर भवन में मौजूद एक कार्यकर्ता ने कहा कि, “लोगों ने केंद्र सरकार और पीएम मोदी के खिलाफ राहुल गांधी को ही प्रचार करते और बोलते देखा है। न तो मायावती और न ही अखिलेश यादव यह बताने के लिए सामने आए कि चौकीदार दरअसल चोर है।”
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अमरनाथ अग्रवाल कहते हैं कि, “मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में राहुल जी सिर्फ चौकीदार बोलते थे और लोग नारा लगाते थे कि चोर है। यह असली जुड़ाव है आम लोगों के साथ। उत्तर प्रदेश में भी ऐसा ही होने वाला है।”
गौरतलब है कि अगले महीने कांग्रेस अध्यक्ष उत्तर प्रदेश में कम से कम 12 रैलियां करने वाले हैं। पहली रैली लखनऊ में होने की संभावना है, इसके बाद वाराणसी, गोरखपुर, मेरठ, अलीगढ़, बरेली, कानपुर, इलाहाबाद और झांसी में रैलियां होंगी। अग्रवाल बताते हैं कि, “कार्यकर्ताओं के उत्साह का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने राहुल की रैलियों की तैयारियां शुरु कर दी हैं।“
स्थानीय नेताओं का मानना है कि राहुल गांधी को केंद्रित कर किया गया प्रचार और सही उम्मीदवारों का चयन जीत का मंत्र साबित होगा।
पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता वीरेंद्र मदन कहते हं कि, “लोगों को पता है कि एसपी-बीएसपी गठबंधन को वोट देना वोट को बेकार करना साबित होगा, क्योंकि ये दोनों दल अपने दम पर सरकार नहीं बना सकते। इसलिए वे गठबंधन को वोट न देकर कांग्रेस को वोट देंगे।” उन्होंने दावा किया कि अल्पसंख्यक और अगड़ी जातियां कांग्रेस के साथ खड़ी हैं।
उन्होंने बताया कि, “राहुल जी ने हाल के इंटरव्यू में कहा था कि एसपी-बीएसपी ने कांग्रेस को कम करके आंका है। उनका बिल्कुल ठीक कहना है, क्योंकि एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जीत के बाद हमारा आधार मजबूत हो रहा है और यही उत्साह उत्तर प्रदेश में भी इतिहास रचेगा।”
Published: 18 Jan 2019, 4:52 PM IST
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Published: 18 Jan 2019, 4:52 PM IST