कांग्रेस ने विवादित नए केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर गुरुवार को भी संसद के दोनों सदनों में सरकार को घेरा। लोकसभा में जहां कांग्रेस सांसदों ने कार्यस्थगन का प्रस्ताव दिया, वहीं राज्यसभा में नेता विपक्ष ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए सरकार से जल्द कोई रास्ता खोजने की मांग की।
लोकसभा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कार्यस्थगन का नोटिस दिया। उन्होंने कहा, "मैं एक महत्वपूर्ण मसले पर चर्चा कराने के उद्देश्य से सदन के कामकाज का स्थगन कर एक प्रस्ताव पेश करने के लिए समय मांगने के लिए नोटिस देता हूं। तीन कृषि कानूनों-आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम-2020, किसान व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम-2020 और मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता, अधिनियम- 2020 संसद द्वारा पारित किया गया है, जो मुट्ठी भर पूंजीपतियों को भारत के किसानों को अपने अधीन करने की शक्ति देता है।"
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वहीं राज्यसभा में विपक्ष के राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान कृषि कानूनों पर चर्चा की मांग पर सहमति बनने के बाद चर्चा शुरू हुई। इस दौरान सरकार को घेरते हुए नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा, "सरकार ने उल्लेख किया है कि धन्यवाद प्रस्ताव से पहले किसी भी बात पर चर्चा करने की कोई रस्म नहीं है, इसलिए सभी विपक्षी सांसद धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा करने और उसके बाद किसानों के मुद्दे को उठाने के लिए सहमत हुए हैं।"
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गुलाम नबी आजाद ने कहा कि नए कृषि कानूनों पर जारी किसानों के आंदोलन को देखते हुए सरकार को एक रास्ता खोजना होगा। हालांकि सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लेने से इंकार कर दिया है और यहां तक कि सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि कानूनों को 18 महीने के लिए रोका जा सकता है। लेकिन किसानों की मांगों को देखते हुए सरकार को कोई रास्ता निकालना चाहिए।
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इससे पहले आज दिन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी सरकार से इस मुद्दे पर घेरते हुए जल्द से जल्द हल निकालने का आग्रह किया। उन्होंने पूछा कि, "सरकार किलेबंदी क्यों कर रही है? क्या वे किसानों से डरते हैं? किसान देश की ताकत हैं, और सरकार को उनसे बात करनी चाहिए और इस मुद्दे को सुलझाना चाहिए।"
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