कांग्रेस ने मोदी सरकार पर चुनावों के दौरान देश की आर्थिक स्थिति को अनदेखा करने का आरोप लगाया। दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम, कांग्रेस नेता राजीव गौड़ा और सलमान सोज़ ने देश की आर्थिक स्थिति के बारे में कई तथ्य सामने रखे।
कांग्रेस ने कहा कि, “बीजेपी की दिनोंदिन बढ़ती हताशा से साफ है कि मोदी सरकार जाने वाली है। प्रधानमंत्री नित नई जुमलेबाज़ी में और उनके वित्त मंत्री इन जुमलों को सही ठहराने के लिए ब्लॉ लिखने में व्यस्त हैं। ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी है, जिसे सुधारने के लिए कांग्रेस तैयार है।“
कांग्रेस ने मैक्रो इकोनॉमिक इंडिकेटर्स से लेकर रोजगार, विदेशी निवेश, आयात, बैंकिंग आदि के बारे में विस्तृत आंकड़े सामने रखते हुए कहा कि देश आर्थिक मंदी की तरफ जा रहा है।
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कांग्रेस ने बताया कि विकास दर मं लगातार गिरावट आ रही है, इससे संकेत मिलते हैं कि आर्थिक मंदी देश के दरवाज़े पर खड़ी है। इसके अलावा कर राजस्व में 1.6 लाख करोड़ की कमी है, जिससे वित्तीय घाटा 3.9 फीसदी तक जा सकता है।
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कांग्रेस ने कहा कि नरेंद्र मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्हें नौकरी विनाश पीएम के तौर पर याद किया जाएगा। कांग्रेस ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी जैसे तुगलकी फरमानों के कारण अकेले 2018 में ही करीब 1.1 करोड़ नौकरियों की कमी हो गई। कांग्रेस ने कहा कि एनएसएसओ की लीक रिपोर्ट से सामने आया है कि देश में बेरोजगारी की दर 45 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है।
इसके अलावा 15 से 29 वर्ष के बेरोजगारों की संख्या तीन गुना हो गई है। सीएमआईई की रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में 88 लाख से ज्यादा महिलाओँ की नौकरियां चली गईं।
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कांग्रेस ने कहा कि, “सूट बूट की सरकार ने देश के गांवों की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह नष्ट कर दिया है। गांवों में मजदूरी कम हो गई है, कीमतें बढ़ गई हैं। बीते 18 साल का सबसे मुश्किल समय ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए है।”
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कांग्रेस क मुताबिक सभी संकेतक बताते हैं कि आर्थिक मंदी सिर पर आ खड़ी हुई है। कांग्रेस ने आंकड़े देते हुए कहा कि घरेलू बचत में 20 फीसदी की कमी हुई है, घरेलू खपत में गिरावट है।
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इसके अलावा निवेश लगभग ठप पड़ा है। कांग्रेस ने आंकड़े दिए कि मोदी सरकार के दौरान निवेश में औसतन 8 फीसदी की गिरावट आई है। नतीजतन मोदी सरकार में नए कारखाने लगने का औसत भी गिरा है। कांग्रेस ने बताया कि यूपीए शासन में औसतन 10,000 नए कारखाने स्थापित हो रहे थे, लेकिन मोदी सरकार में इनकी संख्या 3400 के आसपास पहुंच गई।
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मोदी सरकार में बैंकिंग क्षेत्र पर सबसे बड़ी मार पड़ी है। इस क्षेत्र में घोटालों और जानबूझकर पैसे न लौटाने वालों का बोलबाला है। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की हालत भी खस्ता है।
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