कांग्रेस ने अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, किसानों समेत कई मुद्दों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार को घेरा है। कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस कर पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, “देश में एक तरह से गुस्से का माहौल है। समाज का हर नागरिक दुखी और परेशान है। देश के अलग अलग विश्वविद्यालय में भी असंतोष व्यापत है। 45 साल में बेरोजगारी स्तर उच्चतम स्तर पर, महंगाई और रकार के अहंकारी रवैये को लेकर देश के लोग दुखी हैं। आज देश के 10 मजदूर संगठनों ने बंद का अह्वान किया है। देश के 25 करोड़ लोग आज हड़ताल पर हैं। पीएम मोदी को उद्योगपतियों से मिलने का समय है, लेकिन इन 25 करोड़ लोगों के प्रतिनिधियों से मिलने का समय नहीं है।”
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पवन खेड़ा ने आगे कहा, “यूपीए ने खाद्य सुरक्षा कानून पारित किया था। पिछले पांच सालों में इस कानून के साथ इस सरकार ने क्या किया सभी को पता है। 29 लोग खाना नहीं मिलने की वजह से मारे गए। यह रिकॉर्ड पर है।”
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “आज जो हड़ताल है वह कई मांगों को लेकर है। उनमें से खाद्य सुरक्षा अधिनियम को लेकर अपनाए गए सरकार के रवैये को लेकर भी है। एक मांग इन संगठनों की यह भी है कि सरकार रोजगार सृजन को लेकर इस सरकार ने क्या किया और क्या करना चाहती है। संगठन यह पूछ रहे हैं कि आखिर रोजगार क्यों जा रहे हैं?”
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उन्होंने आगे कहा, “जिस विनिवेश की यह सरकार बात कर रही है, उस पर भी यह संगठन सवाल खड़े कर रहे हैं। एफडीआई पर भी सवाल खड़े किए जा रहा हैं। लोग पूछ रहे हैं कि आखिर रेलवे, कोयला समेत कई क्षेत्रों में यह सरकार विनिवेश क्यों ला रही है।”
उन्होंने आगे कहा, “यह सरकार माने या न माने देश की अर्थव्यवस्था गंभीर दौर से गुजर रही है। यह सरकार किसानों की परेशानियों को नहीं सुन रही है। इस सरकार को किसानों से दुश्मनी है।”
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जेएनयू के मुद्दे पर भी पवन खेड़ा ने केंद्र की मोदी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा, “देश के गृह मंत्री टुकड़े-टुकड़े गैंग शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे समझा जा सकता है कि यह सरकार किस तरह से काम कर रही है। मोदी सरकार देश के अलग-अलग समुदायों को कैसे देख रही है, गृह मंत्री के बयान से अंदाजा लगाया जा सकता है।”
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उन्होंने आगे कहा, “देश में परंपरा बन गई है। उन्नानव की पीड़ता हो, पहलु खान और आईशी घोष हो, जो पीड़ित है उनके खिलाफ केस दर्ज होता है और कार्रवाई होता है।”
जम्मू-कश्मीर मुद्दों को लेकर कहा कि जब सराकर ने अल अलग दूतों को भ्रमण कराने की बात कही तो हैरानी हुई। देश के विपक्ष दलों को जम्मू-कश्मीर में नहीं जाने दिए। राज्यसभा सांसद गुलाम नबी आजाद को अपने गृह राज्य जम्मू-कश्मीर नहीं जाने दिए। राहुल गांधी को विपक्ष के प्रतिनिधिमंड के साथ नहीं जाने दिए। लेकिन देश के अलग अलग दूतों को जाने अनुमति दिया। ऐसे में क्या माना जाए।
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