कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले विवादास्पद नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने के मोदी सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है। कांग्रेस महसचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि यह चुनाव से पहले ध्रुवीकरण करने के साथ ही चुनावी बॉण्ड मामले पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद सरकार की ‘हेडलाइन मैनेज करने’ की कोशिश की है।
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जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में लिखा, ‘‘दिसंबर, 2019 में संसद द्वारा पारित नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के नियमों को अधिसूचित करने में मोदी सरकार को चार साल और तीन महीने लग गए। प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उनकी सरकार बिल्कुल पेशेवर और समयबद्ध तरीके से काम करती है। सीएए के नियमों को अधिसूचित करने में लिया गया इतना समय प्रधानमंत्री के सफ़ेद झूठ की एक और झलक है।’’
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रमेश ने आरोप लगाया कि सीएए के नियमों को अधिसूचित करने के लिए नौ बार समय-सीमा बढ़ाने की मांग के बाद, इसकी घोषणा करने के लिए जानबूझकर लोकसभा चुनाव से ठीक पहले का समय चुना गया है। उन्होंने दावा किया, ‘‘ऐसा स्पष्ट रूप से चुनाव को ध्रुवीकृत करने के लिए किया गया है, विशेष रूप से असम और बंगाल में। यह चुनावी बॉण्ड घोटाले पर उच्चतम न्यायालय की कड़ी फटकार और सख़्ती के बाद, ‘हेडलाइन को मैनेज करने’ का प्रयास भी प्रतीत होता है।’’
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यहां बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए), 2019 को लागू करने से जुड़े नियमों को सोमवार को अधिसूचित कर दिया, जिससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से दस्तावेज के बिना आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। सीएए के नियम जारी हो जाने के बाद मोदी सरकार 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारत की नागरिकता देना शुरू कर देगी।
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