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कृषि कानून रद्द कराने के लिए ‘प्राइवेट मेंबर्स बिल’ लाएंगे, कांग्रेस सांसदों ने ‘खेतिहर’ सांसदों से भी की अपील 

पंजाब के कांग्रेस सांसदों ने कहा कि जिन सांसदों ने कृषि को अपना पेशा बताया है, उन्हें प्राइवेट मेंबर्स बिल लाने चाहिए। लोकसभा में 203 और राज्यसभा में 64 सांसदों ने खुद को कृषक बताया है। उनसे पक्षपातपूर्ण राजनीति से अलग हटकर प्राइवेट मेंबर्स बिल लाने चाहिए।

फोटोः @ManishTewari
फोटोः @ManishTewari 

कांग्रेस के लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने मंगलवार को कहा कि पंजाब के पार्टी सांसदों ने नए केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए संसद में प्राइवेट मेंबर्स बिल लाने का फैसला किया है। आनंदपुर साहिब से सांसद तिवारी ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में कृषि कानूनों पर बात की, लेकिन कोई भी किसान उन पर विश्वास करने को तैयार नहीं है। हमारे पास कोई विकल्प नहीं है, इसलिए हमने इस रास्ते को अपनाने का फैसला किया।"

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पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि कांग्रेस सांसद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मिलेंगे और उनसे अनुरोध करेंगे कि वे लोकसभा सचिवालय को सौंपे गए विधेयकों पर चर्चा की अनुमति दें। कांग्रेस नेता ने कहा कि वे इस मुद्दे पर राज्यसभा के सभापति से भी मुलाकात करेंगे। एक अन्य कांग्रेस सांसद परनीत कौर ने कहा कि वे इन कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग के साथ खड़ी हैं।

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पंजाब के सांसदों ने संसद के अन्य सदस्यों से अपील की है कि वे कृषि कानूनों पर ऐसे विधेयकों की शुरुआत करें। कांग्रेस सांसद जसबीर सिंह गिल ने कहा, "जिन सांसदों ने कृषि के तौर पर अपना पेशा बताया है, उन्हें प्राइवेट मेंबर्स बिल लाने चाहिए।" कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा, "लोकसभा में 203 और राज्यसभा में 64 सांसदों ने कृषि को अपना पेशा दिखाया है, इसलिए, हम उनसे पक्षपातपूर्ण राजनीति से बाहर निकलकर इन प्राइवेट मेंबर्स बिल में मदद करने की अपील करते हैं।" मनीष तिवारी ने कहा कि संसदीय इतिहास में इस तरह के 14 विधेयकों को कानूनों में बदला गया है।

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बता दें कि किसी मंत्री द्वारा लाए गए विधेयक (बिल) को सरकारी बिल कहा जाता है, जिसका समर्थन सरकार करती है। वहीं प्राइवेट मेंबर बिल उन सांसदों द्वारा पेश किया जाता है, जो मंत्री नहीं होते। दरअसल, इसका मुख्य उद्देश्य सरकार का ध्यान उन मुद्दों की तरफ दिलाना होता है, जो महत्वपूर्ण होते हैं और जिन पर कानूनी हस्तक्षेप की जरूरत होती है।

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