राफेल सौदे में कथित घोटाले को लेकर कांग्रेस ने एक बार फिर मोदी सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस ने कहा है कि राफेल घोटाले में रोज नए नए खुलासे हो रहे हैं।
मोदी सरकार ने जानबूझकर राफेल विमानों की कीमत को बढ़ाया था, और इस बहाने उसका इरादा अपने पसंदीदा उद्योगपति को फायदा पहुंचाने का था। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि देश के सबसे बड़े निजी क्षेत्र के बैंक आईसीआईसीआई बैंक प्रबंधन की 28 फरवरी 2017 को हुई बैठक के नोट से इसका खुलासा हुआ है।
पवन खेड़ा ने कहा कि आईसीआईसीआई मैनेजमेंट मीट के नोट सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध हैं। इन नोट्स से साफ होता है कि राफेल विमानों के साथ ही अनिल अंबानी की कंपनी को दिए गए ₹30,000 करोड़ के ऑफसेट कांट्रेक्ट और ₹1,00,000 करोड़ के लाईफ साइकिल कॉस्ट कांट्रेक्ट को बढ़ाया गया।
कांग्रेस नेता ने कहा कि सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध यह ऐसा छठा सबूत है जिससे पता चलता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने प्रति राफेल विमान ₹1670 करोड़ का सौदा किया है। इसके लिए पीएम मोदी ने सारे नियमों को ताक पर रख दिया।
पवन खेड़ा ने कुछ तथ्य गिनाते हुए कहा कि मोदी सरकार में पसंदीदा पूंजीतियों को फायदा पहुंचाना आम बात हो गई है। उन्होंने आईसीआईसी बैंक के प्रबंधन की बैठक के नोट्स का हवाला दिया, जिनमें कहा गया है कि:
पवन खेड़ा ने बताया कि इससे पहले जो खुलासे हुए हैं, उनका आधार दसॉल्ट एविएशन की 2016 की सालाना रिपोर्ट भी है, जिससे प्रति राफेल की कीमत के साथ ही ऑफसेट कांट्रेक्ट मूल्य का भी पता चलता है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने 16 फरवरी 2017 को जारी प्रेस रिलीज़ में 36 राफेल विमानों की कीमत का खुलासा करते हुए दावा किया है कि उसे ₹30,000 करोड़ का ऑफसेट कांट्रेक्ट मिला है।
कांग्रेस नेता के मुताबिक रिलायंस इंफ्रा ने निवेशकों के लिए तैयार प्रेजेंटेशन में भी कहा है कि उसे ₹100,000 करोड़ का लाइफ साइकिल कॉस्ट कांट्रेक्ट भी मिला है। रिलायंस इंफ्रा की सालाना रिपोर्ट में भी दसॉल्ट के साझा ज्वाइंट वेंचर में 30,000 करोड़ के ऑफसेट कांट्रेक्ट का जिक्र है।
पवन खेड़ा ने बताया कि रक्षा मंत्रालय में आर्थिक मामलों के प्रमुख रहे सुधांशु मोहंती ने राफेस सौदे के भ्रष्टाचार की परतें खोलकर रख दी हैं। उन्होंने कहा है कि मोदी सरकार ने राफेल विमानों का बेंचमार्क प्राइस 5.2 बिलियन यूरो (₹ 39,422 करोड़) से बढ़ाकर 8.2 बिलियन यूरो (₹ 62,166 करोड़) किया था।
उन्होंने बताया कि अब एक थर्ड पार्टी (आईसीआईसीआई बैंक) के दस्तावेज़ भी यही साबित करते हैं कि 36 राफेल विमानों का सौदा प्रधानमंत्री ने अपने मन से किया और इसके पीछे इरादा अपने पसंदीदा पूंजीपति को फायदा पहुंचाना था।
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पवन खेड़ा ने सवाल पूछा कि जब 10 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री मोदी ने समझौते पर दस्तखत किए तो राफेल विमान की कीमत क्या थी?
उन्होंने पूछा कि जब दसॉल्ट की सालानी रिपोर्ट, रिलायंस डिफेंस का प्रेस रिलीज़ राफेल की कीमतों का खुलासा कर रहा है और सौदे के समय रक्षा मंत्रालय में आर्थिक मामलों के प्रमुख रहे अधिकारी बेंचमार्क प्राइस को बढ़ाए जाने की बात कह रहे हैं, तो फिर आखिर पीएम मोदी इस मामले पर चुप क्यों हैं. और क्यों नहीं राफेल विमानों की असली कीमत देश को बताते?
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने नैतिक, राजनीतिक, कानूनी और संवैधानिक जिम्मेदारियों और जवाबदेही से बच नहीं सकते। उन्हें संयुक्त समिति से इस मामले की जांच करानी चाहिए ताकि सच सामने आ सके।
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