केन्द्र की सत्ता पर चार सालों काबिज मोदी सरकार पर तीखा हमला करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जहां जन आक्रोश रैली में गिन-गिन कर बीजेपी सरकार की असफलताओं का जिक्र किया, वहीं दूसरी तरफ उन्होंने 2019 के लिए चुनाव का शंखनाद भी इसी रैली से किया।
व्यंग्य, लयात्मकता, उपहास और बौद्धिकता से भरे हुए भाषण के जरिए राहुल गांधी ने जनता तक अपनी बात पहुंचाने के लिए हर भाषाई कौशल का इस्तेमाल किया। अपने 31 मिनट के भाषण में राहुल गांधी ने ठेठ हिंदी कहावतों के जरिए जनता की तालियां भी बटोरी, और अपनी आक्रामक शैली के जरिए कांग्रेस की आगामी रणनीति का संकेत भी दिया।
अध्यक्ष बनने के बाद दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में आयोजित पहली रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी न केवल 2019 का आम चुनाव, बल्कि 2019 के पहले होने वाले सभी विधानसभा चुनाव में भी जीत दर्ज करेगी।
राहुल ने मोदी सरकार पर चुनावी वादों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाया। राहुल ने कहा कि बात-बात पर बोलने वाले मोदी राष्ट्रीय महत्व के हर विषय पर चुप रहते हैं, फिर चाहे बात डोकलाम की हो या फिर राष्ट्रीय बैंको में हुए भ्रष्टाचार की। कांग्रेस अध्यक्ष ने न केवल मोदी सरकार पर हमला किया बल्कि बीजेपी के पैतृक संगठन आरएसएस को भी नहीं बख्शा।
राहुल ने कहा कि अहम संस्थाओं में आरएसएस कार्यकर्ताओं को नियुक्त किया जा रहा है। राहुल के मुताबिक बीजेपी और आरएसएस जहां भय फैलाने और तोड़ने का काम करते हैं वहीं, कांग्रेस पार्टी जोड़ने का काम करती है। कांग्रेस पार्टी प्रेम और भाईचारे का प्रसार करती है। इस मौके पर राहुल गांधी ने इतिहास का जिक्र किया और देश के निर्माण में कांग्रेस की भूमिका का बखान किया।
राहुल गांधी के भाषण की खास बात यह भी रही कि उन्होंने मोदी की शैली में मोदी को जवाब दिया। उन्होंने कहा,“देश की आजादी के 70 सालों में यह पहली बार हुआ है, जब प्रधानमंत्री को एक रेप केस में बीजेपी विधायक की संलग्नता और जम्मू में एक छोटी बच्ची पर हुए हमले के बारे में बयान देना पड़ा है।”
महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश से आए कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा कि मोदी जी ने किसानों को दोगुना समर्थन मूल्य देने और ऋण माफी का का वादा किया था, लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली उनकी बातों को खारिज करते हैं। जेटली जी कहते हैं कि ऋण माफी कोई विकल्प ही नहीं है, जबकि मोदी जी ने कॉरपोरेट घरानों का हजारों करोड़ों का ऋण माफ किया है।
हालांकि जन आक्रोश रैली को यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और अशोक गहलोत ने भी संबोधित किया, लेकिन जन आक्रोश रैली पूरी तरह से राहुल के रंग में रंगी नजर आई।
जन आक्रोश रैली की 10 अहम बातें:
- राहुल गांधी के मंच पर आने से पहले अनुराग कश्यप द्वारा निर्देशित गुलाल फिल्म का गाना - आरंभ है प्रचंड बजाया गया। अपने लक्ष्य के लिए जीवन को समर्पित करने का संदेश देने वाला यह गाना कांग्रेस की “करो या मरो”मानसिकता को प्रदर्शित करता है। 2019 के लिए कमर कस रही कांग्रेस के लिए इसके अलावा कोई विकल्प भी नहीं है।
- जन आक्रोश रैली में पूरे मैदान में राहुल गांधी के अलावा किसी और नेता की तस्वीर नहीं लगाई गई थी। इससे दो बातें रेखांकित होती हैं, पहली यह कि राहुल गांधी कांग्रेस के सुप्रीम लीडर हैं और दूसरी यह कि इतिहास पर ज्यादा ध्यान देने के बजाय कांग्रेस की सोच भविष्योन्मुख है।
- कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं जैसे कि मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी समेत गुलाम नबी आजाद ने अपने भाषण के दौरान राहुल के नेतृत्व पर बार-बार भरोसा जताया। इससे साबित होता है कि राहुल को न केवल युवा नेताओं का साथ बल्कि वरिष्ठ नेताओं का आशीर्वाद भी प्राप्त है। नए पुराने दोनों नेताओं का समर्थन राहुल गांधी को मिल रहा है।
- अपने भाषण के दौरान राहुल गांधी ने केवल मोदी सरकार की असफलतों का ही जिक्र नहीं किया बल्कि उन्होंने यह भी बताया कि कांग्रेस पार्टी ने देश के लिए क्या किया है। इस प्रकार बिना कुछ कहे वे यह संदेश देने में सफल रहे कि वे और उनकी पार्टी केवल आलोचना नहीं करते बल्कि समस्याओं का समाधान भी करते हैं।
- राहुल गांधी ने अपने भाषण में महिलाओं की सुरक्षा से लेकर, मॉब लिचिंग और किसानों की आत्महत्या तक हर मुद्दे पर साफगोई से अपनी राय रखी। उन्होंने सफलतापूर्वक अपनी अखिल भारतीय छवि को और जनआक्रोश रैली के जरिए और मजबूत किया। मोदी के उलट हर तबके की बात करते हुए यह संदेश दिया कि वे केवल एक धर्म और एक समुदाय के नेता नहीं है, बल्कि वो पूरे देश के नेता हैं।
- अपना भाषण खत्म करने के बाद राहुल गांधी दोबारा माइक पर आए और लाखों लोगों के सामने कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने की चाहत का ऐलान किया। विमाम पर खराबी का जिक्र करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि जब विमान हवा में हिचकोले खा रहा था तभी उनके दिमाग में यह खयाल आया। जाहिर है कि राहुल इस बात के जरिए दो संदेश देना चाह रहे थे। पहला विरोधी पक्ष उनकी जान के साथ खिलवाड़ भी कर सकता है और दूसरा यह कि वे और उनकी पार्टी हिंदू विरोधी कतई नहीं है जैसा कि बीजेपी ने छवि बनाई है।
- जन आक्रोश रैली में राहुल ने लोगों की भावनाओं को उस वक्त आंदोलित कर दिया जब उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के लोगों ने देश के लिए अपना खून बहाया है। उन्होंने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह का नाम लिया। हालांकि वे अपनी दादी और पिता का भी नाम ले सकते थे, लेकिन ऐसा न करके उन्होंने यह साबित किया कि वे देश के लिए शहीद होने वाले कांग्रेस पार्टी के दूसरे नेताओं को भी महत्व देते हैं।
- हालांकि अपने भाषण के दौरान राहुल गांधी दो बार रुके भी लेकिन हिंदी में दिए गए धारा प्रवाह भाषण ने लोगों पर जादुई असर किया। जिस वक्त राहुल भाषण दे रहे थे लोग बदलाव के लिए नारे लगा रहे थे।
- राहुल ने अपने भाषण में कांग्रेस को शेर का बच्चा कहकर संबोधित किया। इसके बाद कई मिनट तक तालियां बजती रहीं। भाषण के दौरान किन शब्दों का कहां इस्तेमाल करना है, इस कला में राहुल पूरी तरह से दक्ष नजर आए।
- अगर यह कहा जाए कि राहुल गांधी की जन आक्रोश रैली कांग्रेस में दशकों से पनप रही गुटबाजी की समाप्ति का ऐलान करती है तो कोई गलत नहीं होगा। इस रैली में विरोधी गुट के नेता एक साथ मंच पर बैठे नजए आए। ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह एक मंच पर थे तो महाधिवेशन के दौरान कांग्रेस से नाराज चल रहे जनार्दन द्विवेदी भी अगली कतार में नजर आए।