हालात

तेलंगाना चुनाव: कांग्रेस की रणनीति के सामने ध्वस्त हो गया केसीआर का हैट्रिक का सपना

कांग्रेस की 6 गारंटी, बेहतर चुनाव प्रबंधन, उम्मीदवारों का सही चयन, मुस्लिम मतदाताओं का पार्टी की ओर झुकाव और बीआरएस विधायकों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर ने कांग्रेस को 10 साल बाद केसीआर को सत्ता से हटाने में मदद की।

कांग्रेस की जीत का जश्न मनाते कार्यकर्ता
कांग्रेस की जीत का जश्न मनाते कार्यकर्ता 

तेलंगाना में जीत की हैट्रिक लगाकर लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने की के चंद्रशेखर राव की उम्मीदें ध्वस्त हो गईं। रविवार को आए चुनावी नतीजों में कांग्रेस ने केसीआर की भारत राष्ट्र समिति को भारी अंतर से हराते हुए सत्ता से बेदखल कर दिया।

तेलंगाना की कुल 119 सीटों में से कांग्रेस ने 64 सीटें जीतीं, जबकि भारत राष्ट्र समिति के हिस्से में सिर्फ 39 सीटें आईं। 2018 के चुनावी नतीजों के मुकाबले यह भारी हार थी। कांग्रेस ने इस बार के चुनावों में पिछली बार की 19 सीटों के मुकाबले कहीं ज्यादा सीटें हासिल की हैं।

आंध्र प्रदेश के 2014 में हुए विभाजन के बाद तेलंगाना में कांग्रेस की यह पहली जीत है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी चुनाव प्रचार के दौरान अपनी रैलियों में मतदाताओं से लगातार कहते रहे थे कि इस बार तेलंगाना को दोरालु यानी सामंतवादियों और प्रजालु यानी जनता के राज के बीच चुनाव करना है। 

Published: undefined

इस चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने 7 सीटों पर और सीपीआई ने एक सीट पर जीत दर्ज की है। लेकिन चुनावी नतीजों का चौंकाने वाला पहलू राज्य में बीजेपी का प्रदर्शन रहा है, क्योंकि बीआरएस और कांग्रेस की सीधी लड़ाई और एआईएमआईएम की अपने गढ़ में मौजूदगी के चलते उसके लिए कोई ज्यादा जगह नहीं बची थी। तब भी बीजेपी ने पिछली एक सीट के मुकाबले 8 सीटें जीती हैं। उसने तो एआईएमआईएम के गढ़ में भी एक सीट पर सेंध लगाई है। इस कारण 9 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली एआईएमआईएम के हिस्से में 7 ही सीटें आई हैं।

तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ए रेवंत रेड्डी 30 नवंबर को मतदान खत्म होने के बाद कांग्रेस की जीत को लेकर आश्वस्त नजर आए थे। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था, “दशकों के विनाश का अंत होना चाहिए। जनता की आकांक्षाओं का शासन शुरु करते हैं। हाथ बढ़ाओ। तेलंगाना को शीर्ष पर पहुंचाओ...।”

Published: undefined

कैसे मिली कांग्रेस को जीत?

कांग्रेस के भीतरी सूत्रों का कहना है कि कर्नाटक में कांग्रेस की जीत की पटकथा लिखने वाले सुनील कनुगोलू ने तेलंगाना में भी बेहद आकर्षक और नए किस्म के प्रचार रणनीतियों का इस्तेमाल किया। इसके अलावा चुनाव प्रबंध कौशल के माहिर माने जाने वाले कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डी के शिवकुमार, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, कर्नाटक के कई मंत्रियों और विधायकों ने तेलंगाना में डेरा डाल रखा था, इसका काफी गहरा असर रहा। वहीं राज्यसभा में कांग्रेस सचेतक नसीर हुसैन का कहना है कि, “दरअसल कांग्रेस के पक्ष में माहौल और प्रचार की बुनियाद तो भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ही पड़ गई थी।”

इन कारकों के अलावा बीते करीब साढ़े नौ साल में तेलंगाना के वोटर केसीआर के शासन से ऊब चुके थे, सत्ता विरोधी माहौल था, युवा रोजगार न मिलने से परेशान थे और कर्नाटक में कांग्रेस की 6 गारंटियों को जमीन पर उतरते देख लोग कांग्रेस के पक्ष में आए। वहीं बड़े पैमाने पर मुस्लिम वोटर का झुकाव कांग्रेस की तरफ हुआ है, जिसका असर नतीजों पर साफ नजर आया।

Published: undefined

गौरतलब है कि तेलंगाना के लगभग हर जिले में बड़ी तादाद में मुस्लिम मतदाता हैं, लेकिन खासतौर से हैदराबाद, रंगारेड्डी, महबूबनगर, नालगोंडा, मेडक, निजामाबाद और करीमनगर में एक तरह से मुस्लिम वोटर निर्णायक साबित हुए हैं।

मुस्लिम मतदाताओं के कांग्रेस की तरफ झुकाव पर वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक टी एस सुधीर कहते हैं कि, “अल्पसंख्यकों में हैदराबाद के बाहर भी यह विमर्श था कि कर्नाटक की तरह कांग्रेस को तेलंगाना में भी एक मौका दिया जाना चाहिए। इसके अलावा यह चर्चा भी आम थी कि केसीआर जरूरत पड़ने पर बीजेपी के साथ हाथ मिला सकते हैं। उनके इस शक को मोदी ने अपनी रैली में यह कहकर पुख्ता कर दिया था कि केसीआर ने एनडीए में शामिल होने की इच्छा जताई थी। वहीं कांग्रेस का यह नैरेटिव की एआईएमआईएम और बीआरएस दोनों ही बीजेपी के नजदीक हैं, इसका भी खासा असर रहा।”

वहीं कर्नाटक के चिकित्सा शिक्षा मंत्री शरण प्रकाश पाटिल का कहना है कि उन्होंने वोटरों को यह समझाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी कि जिस तरह कर्नाटक में कांग्रेस की गारंटियों को लागू किया गया है, तेलंगाना में भी पहले दिन से इन गारंटियों को लागू करने की प्रक्रिया शुरु कर दी जाएगी।

तेलंगाना के लिए कांग्रेस प्रभारी महासचिव मंसूर अली खान का कहना है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने कांग्रेस के पुनर्जन्म की जमीन तैयार की थी। इसके अलावा कर्नाटक में कांग्रेस की जीत से इस जमीन को मजूबती मिली।

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined