कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए पीएम मोदी के भाषण को लेकर पलटवार किया है। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि आज का दिन ऐसा तो नहीं है, जिसमें सियासी बात की जाए, राजनैतिक बात की जाए, लेकिन कुछ परंपराएं बदली जा रही हैं इस देश में, और बदलने वाले प्रधानमंत्री स्वयं हैं। इस तरह की निम्न स्तर की परंपराओं का जवाब देना आवश्यक तो नहीं होता, लेकिन आप लोगों की मांग है कि उसका जवाब दिया जाए।
पवन खेड़ा ने कहा कि प्रधानमंत्री पिछले 8 साल से अपने ही शब्दों के शिकार होते चले जा रहे हैं और बहुत थके हुए सुनाई देते हैं। उनकी बातें थकी हुई सुनाई देती हैं। उनके शब्द थके हुए हैं। कोई भाव नहीं है, कोई दिल में जज्बा नहीं है, कोई जुनून नहीं है, क्योंकि जो-जो उन्होंने वायदे किए थे, अब मुझे लगता है, वो उन्हें खुद को सताते होंगे। कहां गई किसानों की दोगुनी आय? कहां गया वो वायदा, सबको घर दिलवाने का? कहां गया सारा काला धन वापस लाने का, उल्टा जो था धन, हिंदुस्तान से वो बाहर जला जा रहा है, हर खाते में 15 लाख रुपए का वायदा? अब उन्हें वो तमाम वायदे न सोने देते हैं, न ठीक ढंग से बोलने देते हैं और कुछ करने की आदत उनकी है नहीं, सिर्फ बोलने भर की आदत है, अब उसमें भी थके हुए महसूस कर रहे हैं।
कांग्रेस ने कहा कि जो उन्होंने कुछ राजनैतिक बातें की, मुझे लगता है, वो बीजेपी का आंतरिक मसला है। जो बीजेपी में एक परिवारवाद है, एक आदमी जिसने लॉर्डस में कोई सेंचुरी लगाई हो शायद, मैंने तो नहीं देखा, वो क्रिकेट में एक बड़े पद पर जाकर पहुंच गए हैं। एक और मंत्री हैं, जिनका बेटा फॉरन सर्विसेस तो शायद नहीं पास किया, लेकिन एक बहुत बड़े थिंक टैंक में बहुत बड़े पद पर है। तो अब वो हमला अपने ही मंत्रियों पर कर रहे हैं, अपने ही मंत्री पुत्रों पर कर रहे है, ये मोदी जी खुद बताएंगे, लेकिन देश आज उनसे उम्मीद करता था, कि वो अपना रिपोर्ट कार्ड देंगे, 8 साल का हिसाब- किताब देंगे। कहां गया वो वायदा, किसानों की दोगुनी आय करने का वायदा? किसान परेशान, इंतजार कर रहा था कि आज कोई जवाब मिलेगा। हर व्यक्ति को पक्का घर, हर घर में नल, हर नल में जल, ये तमाम जो उनके खोखले नारे थे, जिनको अमित शाह खुद ही जुमला कहते हैं, उन तमाम नारों पर उम्मीद थी कि आज कुछ हिसाब-किताब देंगे, कोई रिपोर्ट कार्ड देंगे। प्रधानमंत्री ने पूरे देश को और अपने समर्थकों को भी आज निराश किया।
स्वतंत्रता दिवस एक ऐतिहासिक दिन होता है और 75वां स्वतंत्रता दिवस तो एक अलग ही इतिहास है। लाल किले की प्राचीर पर, जहां से प्रधानमंत्री जी आज भाषण दे रहे थे, वहाँ से ऐतिहासिक भाषण दिए गए हैं। इतिहास पुरुषों ने वहां खड़े होकर इतिहास लिखा है। उनके मुंह से निकला एक-एक शब्द इस देश की तकदीर लिखकर गया। ऐसे में उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री, एक मैच्योर्ड जिसको कहते हैं, भाषण देंगे। अपनी जिम्मेदारी, अपने पद की गरिमा को समझेंगे। बड़ा अफ़सोस होता है, आज के दिन ऐसी बात का जवाब देते हुए और इस तरह की बात कहते हुए कि प्रधानमंत्री ने आज पूरे देश को निराश किया और ऐसे दिन जब पूरा विश्व लाल किले की प्राचीर की ओर देख रहा हो।
आप सबको फिर से बहुत-बहुत स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं।
प्रधानमंत्री के भाषण में परिवारवाद के उल्लेख को लेकर पूछे एक प्रश्न के जवाब में पवन खेड़ा ने कहा कि जैसा मैंने आपको कहा- यह आंतरिक हमला उन्होंने अपने ही मंत्रियों पर किया। हो सकता है, वो गृहमंत्री पर हमला हो; जिनका पुत्र, पता नहीं कैसे क्रिकेट की इतनी बड़ी बॉडी का प्रमुख बन गया है या यह हमला अपने विदेश मंत्री के पुत्र पर है, या यह हमला अपने सिविल एविएशन मंत्री पर है, या यह हमला अपने रक्षा मंत्री के पुत्र पर है, हमें नहीं मालूम यह हमला किस पर है, तो यह आप उनसे पूछिए। भाजपा के आंतरिक मसलों को इस तरह से लाल किले की प्राचीर पर भाषण के जरिए बखान करना, अच्छा नहीं लगता।
कांग्रेस की आजादी गौरव यात्रा को लेकर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री पवन खेड़ा ने कहा कि यह आजादी गौरव यात्रा है। एक गौरवशाली इतिहास रहा है, इस देश का, आजादी से पहले का, स्वतंत्रता प्राप्त करने का भी और स्वतंत्रता के पश्चात इस राष्ट्र के निर्माण में भी उस गौरव को रेखांकित करने के लिए, हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जो शहीद स्थल है, वहाँ पैदल जाएंगे।
खेड़ा ने कहा कि हर व्यक्ति अपने बौनेपन के सामने मजबूर हो जाता है। अब इसमें मैं बार-बार टीका-टिप्पणी करूं, प्रधानमंत्री पर, वो भी आज के दिन, वो मुझको भी शोभा नहीं देता। आप पंडित नेहरू का, सरदार पटेल का, महात्मा गांधी का, मौलाना अबुल कलाम आजाद का, इन सबका कद तो नहीं घटा पाएंगे, अपना कद बढ़ाने की चेष्टा कीजिए, वो आप करना नहीं चाहते, तो ऐसे में हम क्या टिप्पणी करें?
कांग्रेस ने कहा कि ये इनका एक शुरु से तरीका रहा है, इतिहास में किसका क्या योगदान है, वो सबको सर्वविदित है, लेकिन व्हाइट वॉश कैसे करें इतिहास को, वो प्रधानमंत्री खुद आकर..., आपने तो देखा प्रधानमंत्री की अपील के बावजूद और कांग्रेस पार्टी के एक प्रेशर के बावजूद कितने दिन लग गए आरएसएस को तिरंगा अपने प्रोफाइल पर लगाने में? मोहन भागवत जी को कितने दिन लग गए- परसों जाकर तिरंगा लगाया। तो ये अपनी आदत से मजबूर हैं। इनका कोई स्वतंत्रता के इतिहास में योगदान रहा नहीं और यह बात भी ये बखूबी जानते हैं। अब वो व्हाइट वॉश करते रहें, कितना, उससे क्या फर्क पड़ता है? जो हो चुका, उसको तो बदल नहीं सकते, अब कुछ कर सकते हैं, तो करिए, वह वो कर नहीं रहे।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में पवन खेड़ा ने कहा कि आज के दिन मैं उस स्तर पर नहीं गिरना चाहता जिस स्तर पर इस देश के प्रधानमंत्री ने आज भाषण दिया। तो मैं किसी पर भी टिप्पणी करना उचित नहीं मानता। सबको मालूम है इतिहास में किसका क्या योगदान रहा है। कौन किसके साथ खड़ा था, कौन माफी मांग रहा था, कौन संघर्ष कर रहा था, कौन जेल में था और कौन पेंशन याफ्ता था, ये सबको सब कुछ मालूम है।
जय हिंद!
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