अडानी मामले पर यूं तो अभी तक वित्त मंत्री, आरबीआई, सेबी और वित्त मंत्रालय ने गोलमोल जवाब दिए हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पूरे मामले पर संदिग्ध खामोशी ओढ़े हुए हैं। इसी मामले को सामने रखते हुए कांग्रेस ने ऐलान किया है कि वह प्रधानमंत्री से अडानी मामले पर रोज 3 सवाल पूछेगी।
कांग्रेस नेता और कम्यूनिकेशन प्रभारी जयराम रमेश ने एक बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने तीन सवालों वाला एक पत्र प्रधानमंत्री के संबोधित किया है। इस पत्र में जयराम रमेश ने लिखा है कि, "पनामा पेपर्स खुलासे के सिलसिले में 4 अप्रैल 2016 को वित्त मंत्रालय ने ऐलान किया था कि आपने निजी तौर पर विभिन्न एजेंसियों के समूह को निर्देश दिया था कि ऑफशोर टैक्स हैवंस से आने वाले पैसे के लेनदेन की जांच की जाए। इसी तरह चीन के हांगजू में 5 सितंबर 2016 को हुए जी20 शिखर सम्मेलन में, आपने कहा था कि "हमें आर्थिक अपराधियों के लिए सुरक्षित आश्रयों को खत्म करने, मनी लॉन्ड्रर्स को ट्रैक करने और बिना शर्त प्रत्यर्पित करने और जटिल अंतरराष्ट्रीय नियमों और बैंकिंग के जटिल जाल को तोड़ने के लिए कार्य करने की आवश्यकता है।" आपके इन बयानों से साफ है और सवाल उठते हैं कि आप यह कहकर नहीं बच सकते कि "हम अडानी के हैं कौन।"
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जयराम रमेश ने इस भूमिका के साथ ही तीन सवाल पूछे हैं। पहले सवाल के तौर पर उन्होंने पूछा है कि:
1. गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी का नाम पनामा पेपर्स और पेंडोरा पेपर्स में बहामास और ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में ऑफशोर कंपनियों को चलाने वाले के रूप में सामने आया था।उन पर "ऑफशोर शेल कंपनियों के एक विशाल चक्रव्यूह" के माध्यम से "स्टॉक हेरफेर" करने के आरोप थे। आपने भ्रष्टाचार से लड़ने में अपनी ईमानदारी और "नीयत" के बारे में अक्सर बातें की हैं। यहां तक कि आपकी इन बातों की देश को नोटबंदी के रूप में भारी कीमत चुकानी पड़ी है। ऐसे में एक बिजनेस घराना, जिससे आपकी सार्वजनिक नजदीकियां हैं, उस पर पर गंभीर आरोप हैं। ऐसे में आपकी एजेंसियों की जांच और गुणवत्ता और ईमानदारी के बयान के बारे में आप क्या कहेंगे?
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सवाल नंबर 2:
वर्षों से आपने प्रवर्तन निदेशालय-ईडी, केंद्रीय जांच ब्यूरो-सीबीआई और राजस्व खुफिया निदेशालय- डीआरआई जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग अपने राजनीतिक विरोधियों को डराने और ऐसे व्यावसायिक घरानों को दंडित करने के लिए किया है जो आपके क्रोनी कारोबारियों के वित्तीय हितों के अनुरूप नहीं हैं। अडानी समूह के खिलाफ वर्षों से लगाए गए गंभीर आरोपों की जांच के लिए, यदि कभी, क्या कार्रवाई की गई है? क्या आपके अधीन निष्पक्ष और निष्पक्ष जांच की कोई उम्मीद है?
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सवाल नंबर 3:
यह कैसे संभव है कि भारत के सबसे बड़े व्यापारिक समूहों में से एक ऐसा कारोबारी घराना, जिसे हवाई अड्डों और बंदरगाहों में एकाधिकार बनाने की अनुमति दी गई है, लगातार आरोपों के बावजूद इतने लंबे समय तक गंभीर जांच से बचा हुआ है? अन्य व्यापारिक समूहों को इससे बेहद हल्के आरोपों के लिए एजेंसियों ने परेशान किया है और उन पर छापे मारे गए। क्या अडानी समूह उस व्यवस्था के लिए आवश्यक है जिसे आपके कथित के भ्रष्टाचार विरोधी बयानों से फायदा मिला है?
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